2000 रुपये जमा करने के बदल गए नियम, RBI ने जारी की गाइडलाइन

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 के नोट बंद करने का ऐलान किया है. शुक्रवार शाम की गई घोषणा को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल हैं.

एक सवाल ये भी है कि क्या बैंक में 2000 के नोट जमा करने की भी कोई लिमिट या सीमा है? इसका जवाब RBI ने अपनी प्रेस रिलीज में दिया है.

रिजर्व बैंक की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि कोई भी व्यक्ति अपने बैंक खाते में जितने चाहे उतने दो हजार के नोट जमा करा सकता है. इसके लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है.

बाद में क्या होगा?

RBI द्वारा जारी प्रेस रिलीज के पॉइंट नंबर 6 में स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि 2000 के नोटों को बिना किसी रोक या प्रतिबंध के बैंकों में सामान्य तरीके से जमा किया जा सकता है.

यानी आप जितने चाहे, उतने दो हजार के नोट अपने बैंक खाते में जमा करा सकते हैं. हालांकि, आपको KYC सहित अन्य जरूरतों को पूरा करना होगा.

वैसे, आरबीआई ने ये साफ नहीं किया है कि इसके बाद इन नोटों का क्या होगा. संभावना है कि आरबीआई इस बारे में जल्द कोई नया दिशा-निर्देश जारी करे.

इसलिए किए गए बंद

RBI के अनुसार, बैंकों में 2000 रुपए के नोट बदले और जमा किए जा सकेंगे. लेकिन एक बार में सिर्फ 20,000 रुपए मूल्य के नोट ही बदले जाएंगे.

नोट बदलने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क या फीस नहीं वसूली जाएगी. बता दें कि 2 हजार के नोट को RBI एक्ट 1934 के सेक्शन 24 (1) के तहत लाया गया था.

पुराने 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद करेंसी संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए RBI ने 2000 का नोट जारी किया था.

दरअसल, दो हजार के नोट को लाने का उद्देश्य अब खत्म हो गया है, क्योंकि दूसरे नोट पर्याप्त मात्रा में बाजार में हैं, इसलिए इसे बंद किया जा रहा है. RBI ने 2000 के बैंकनोट की प्रिंटिंग 2018-19 में बंद कर दी थी.

कालेधन पर चोट?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि RBI के इस कदम का मकसद उच्च मूल्य वाले नोट पर निर्भरता को कम करना और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने है.

2000 के आधे नोट पहले ही वित्तीय व्यवस्था से बाहर हो चुके हैं. उनका यह भी कहना है कि उच्च मूल्य वाले नोट का इस्तेमाल काला धन जमा करने में किए जाने संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए भी ये कदम उठाया गया है.

गौरतलब है कि मार्च, 2018 में 6.73 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 2000  के नोट चलन में थे, लेकिन मार्च, 2023 में इनकी संख्या घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपए रह गई.

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