कहानी सुल्ताना की. वो डाकू जिसे एक अंग्रेज ने फांसी तक पहुंचाया, बेटे को पढ़ा-लिखाकर IPS बनाया

उत्तर प्रदेश के उरई में सिपाही की हत्या करने वाले अपराधी का एनकाउंटर जिस पुलिस ने किया, उसी पुलिस ने उस अपराधी की बेटी की शादी धूमधाम से करवाई. गेस्ट हाउस, खानपान और बारातियों के स्वागत से लेकर सारी व्यवस्थाएं पुलिस ने संभाली.

उरई में पुलिस की तारीफ हो रही है. इस तारीफ के साथ दुर्दांत सुल्ताना डाकू की कहानी भी ताजा हो गई, जिसे आम जनता रॉबिनहुड कहा करती थी.

वो डाकू जिसे एक अंग्रेज पुलिस अफसर फ्रेडी यंग ने पकड़ा. सुल्ताना की मौत के बाद उसके बेटे को पढ़ा-लिखाकर एक आइपीएस अफसर बनाया. आइए जानते हैं कौन था डाकू सुल्ताना और कैसे बना अपराधी.

वो घटना जिसने बनाया डाकू

डाकू सुल्ताना भले ही अपने इस नाम से फेमस हुआ, लेकिन उसका नाम सुल्तान सिंह था. हालांकि उसके धर्म को लेकर भी अलग-अलग बातें कहीं गईं. कुछ ने उसे मुस्लिम बताया तो कुछ मानते थे कि वो हिन्दू धर्म से ताल्लुक रखता था.कहा जाता है कि अंग्रेजों के दौर में 1901 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में जन्मे सुल्ताना ने बचपन से भेदभाव को देखा. बंदूक की नोक पर अंग्रेज हिन्दुओं को धर्म बदलने पर मजबूर कर रहे थे. 17 साल की उम्र में उसने देखा कि अंग्रेजों ने हिन्दुओं को ईसाई धर्म अपनाने का दबाव डाला. इस घटना ने सुल्ताना पर गहरा असर डाला और अंग्रेजों से बदला लेने के लिए बंदूक उठा ली.

गरीबों का रॉबिनहुड

सुल्ताना ने तय कर लिया था कि वो यह सब कैसे रोकेगा. अंग्रेजों को सबक सिखाने के लिए उसने जंगलों की राह चुनी. नजीबाबाद को अपना ठिकाना बनाया. अंग्रेजों के खिलाफ एक गुट तैयार किया. धीरे-धीरे उसके गैंग का दायरा बढ़ने लगा. ये गैंग अमीर लोगों को निशाना बनाकर लूटपाट करते थे और उसे गरीबों में बांटते थे. सुल्ताना के निशाने पर वो अमीर लोग होते थे जो अंग्रेजों की मदद करते थे.

डकैती से पहले अलर्ट करने वाला डकैत

एक समय के बाद सुल्ताना और उसका गैंग मजबूत बन गया था. वो अंग्रेजों के लिए गले की हड्डी था. अंग्रेज उसे सुल्तान की जगह सुल्ताना के नाम बुलाने लगे. इस तरह सुल्तान डाकू सुल्ताना बन गया. सुल्ताना कितना निडर था इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि वह जिस घर में डकैती करता था, वहां घटना को अंजाम देने की जानकारी पहले ही दे देता था. खास बात यह भी थी कि डकैती का दिन और समय पहले ही बता देता था. इसके बावजूद पुलिस डकैती नहीं रोक पाती थी.

कैसे पकड़ा गया सुल्ताना?

अंग्रेजी अफसरों के लिए सुल्ताना को पड़कना मुश्किल हो रहा था. गिरफ्तारी की तमाम योजनाओं पर जब पानी फिर गया तो इसकी जिम्मेदारी एडवर्ड जिम कॉर्बेट को दी गई. उत्तराखंड के जंगलों के लिए काफी काम करने के कारण इनके नाम पर जिम कॉर्बेट उद्यान का नाम पड़ा. जंगलों की जानकारी रखने वाले जिम भी सुल्ताना को नहीं पकड़ पाए.

अंग्रेजों ने खास योजना बनाई. 300 जवानों और 50 घुडसवारों की सेना तैयार की गई. इसकी कमान दी गई ब्रिटिश पुलिस अफसर फ्रेडी को. गिरफ्तारी की कोशिश शुरू हुई, लेकिन फ्रेडी भी उसे पकड़ने में नाकामयाब साबित हो रहे थे. इसी दौरान एक बार सुल्ताना और फ्रेडी का आमना-सामना हुआ, लेकिन सुल्ताना भारी पड़ा और उसने फ्रेडी की जान बख्श दी. हालांकि एक दिन ऐसा भी आया जब फ्रेडी को सफलता हाथ लगी.

सुल्ताना गैंग के कुछ लोगों ने मुखबिरी करते हुए फ्रेडी को जानकारी दी और 23 जून 1923 को जंगल में छिपे बैठे सुल्ताना को गिरफ्तार कर लिया गया.

फांसी के पहले की वो रात जब फ्रेडी और सुल्तान मिले

7 जुलाई 1924 को उसे फांसी दी गई. हालांकि, फ्रेडी ने सुल्ताना को फांसी न देने की मांग भी की, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया.फांसी से पहले एक रात फ्रेडी सुल्ताना से मिलने पहुंचे. सुल्ताना ने कहा, उसका एक बेटा. मैं चाहता हूं कि उसे एक इज्जतदार इंसान की तरह जिंदगी. वो सम्मान के साथ सिर उठाकर जिए. फ्रेडी ने उसकी बात मानते हुए उसके बच्चे को गोद लिया और उसे पढ़ा-लिखाकर आईपीएस अफसर बनाया. इस कहानी को लेकर कई फिल्में भी बनीं. उपन्यास लिखे गए. उरई की हालिया घटना के बाद एक बार फिर सुल्तान की कहानी ताजा हो गई.

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