थाईलैंड के नरक की कहानी: नौकरी के नाम पर कराया वो सब कुछ, यह आपबीती सुन कांप जाएगी रूह

‘बहुत बुरी तरीके से हम लोगों से वहां काम कराया जाता था। नियम इतने सख्त थे कि अगर एक मिनट की भी देरी से पहुंचे तो जुर्माना लगता था। यहां तक कि काम करते वक्त हम लोगों की कुर्सी अगर ज्यादा हिली, तो इसके लिए भी जुर्माना वसूला जाता था। जब उन्हें लगा कि हम वहां से निकलना चाहते हैं, तो उन्होंने हमें अलग-अलग कमरों में कुर्सी से बांध दिया…।’ ये कहानी है उन 30 भारतीय लोगों की, जिन्हें मोटी सैलरी पर नौकरी के लालच में थाईलैंड बुलाया गया और इसके बाद लाओस में साइबर ठगी के धंधे में उतार दिया गया। 23 साल के सिद्धार्थ यादव किसी तरह इन लोगों के चंगुल से बचकर और भारतीय दूतावास की मदद से वापस भारत पहुंचे। उन्होंने ठगी के इस नए जाल की जो कहानी सुनाई है, उसे सुनकर पुलिस भी हैरान है। सिद्धार्थ की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर अब इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

कहानी शुरू होती है साल 2021 से, जब होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद ठाणे के रहने वाले सिद्धार्थ यादव ने नौकरी की तलाश शुरू की। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस को दी अपनी शिकायत में सिद्धार्थ ने बताया कि वो नौकरी की तलाश कर ही रहे थे कि दिसंबर 2022 में एक फोन आया। फोन करने वाले शख्स ने सिद्धार्थ को 65 हजार रुपए महीने की सैलरी पर थाईलैंड में कॉल सेंटर में नौकरी का ऑफर दिया। सिद्धार्थ ने ऑफर मान लिया और नौकरी के लिए कमीशन के तौर पर 30 हजार रुपए देने के बाद उन्हें ऑफर लेटर मिल गया। इसके साथ ही सिद्धार्थ को मुंबई से बैंकॉक और बैंकॉक से च्यांग राय तक की फ्लाइट के टिकट भी भेज दिए गए। च्यांग राय उत्तरी थाईलैंड में लाओस की सीमा से सटा हुआ शहर है।

31 दिसंबर 2022 को सिद्धार्थ मुंबई से च्यांग राय के लिए निकल गए। फ्लाइट में उनकी मुलाकात पुणे की रहने वाली प्रीति से हुई, और उसने बताया कि वो भी उसी कंपनी में नौकरी के लिए थाईलैंड जा रही है। च्यांग राय पहुंचने पर दोनों को एक चीनी नागरिक लाओस बॉर्डर पर लेकर गया। सिद्धार्थ को यहां 5-6 लोग और मिले, जो दिल्ली-पंजाब से इसी कंपनी में नौकरी के लिए आए थे। यहां एक दूसरे चीनी नागरिक ने उन सभी के पासपोर्ट ले लिए और एक बोट के जरिए उन्हें लाओस लेकर चला गया। लाओस पहुंचने पर उन्हें ले जाने के लिए तीन गाड़ियां आईं और यहां दो भारतीय- गॉडफ्रे और सनी मिले। इन दोनों ने उन्हें एक कंप्यूटर, मोबाइल फोन और अमेरिका के नंबर वाली कुछ सिम दीं।

कुर्सी अगर ज्यादा हिली तो लगता था जुर्माना

सिद्धार्थ के मुताबिक, गॉडफ्रे और सनी ने उन लोगों से कहा कि वो अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने फर्जी अकाउंट बनाएं। इसके बाद उनसे अमेरिका, यूरोप और कनाडा में लोगों से संपर्क कर क्रिप्टो करेंसी में निवेश कराने के नाम पर ठगी करने के लिए कहा गया। यहां पर काम के नियम बहुत सख्त थे। महज एक मिनट की देरी से पहुंचने पर जुर्माना लगता था। काम करते हुए कुर्सी अगर ज्यादा हिली तो इसके लिए भी वो लोग जुर्माना वसूलते थे। 15 फरवरी 2023 को जब सैलरी मिलने में महज तीन दिन बचे थे, तो गॉडफ्रे और सनी ने उन सभी 30 लोगों से कहा कि अब दूसरी कंपनी मं काम करेंगे, क्योंकि यहां बहुत ज्यादा सख्ती है। इसके बाद उनमें से किसी को उस महीने की सैलरी नहीं दी गई। दूसरी कंपनी में उनसे अमेरिकी नागरिकों को फोन कर ऑनलाइन ठगी करने के लिए कहा गया।

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