ये है Bihar का सबसे छोटा जिला, यहां रहते हैं सिर्फ इतने लोग

भारत के उत्तर-पूर्वी भाग के मध्य में स्थित बिहार का इतिहास काफी पुराना है. प्राचीन इतिहास मे मगध के नाम से जाना जाता था. रामायण काल में यहां राजा जनक का साम्राज्य हुआ करता था

इसीलिए आज भी यहां के लोग माता सीता को अपनी बेटी और भगवान राम को अपना दामाद मानते हैं. जैन धर्म और बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों के लिए भी यह धरती काफी पूज्यनीय है.

जनसंख्या की दृष्टि से भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्रदेश है जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से 12वां है. बिहार प्रदेश में अपने आप में विविधताओं से भरा है. इस प्रदेश में 38 जिले हैं और सभी जिलों की अपनी-अपनी खासियत है.

आज हम आपको बिहार के सबसे बड़े और सबसे छोटे जिले के बारे में बताने जा रहे हैं. बिहार के सबसे बड़े जिले के रूप में पश्चिम चंपारण का नाम आता है और शिवहर सबसे छोटा जिला है.

बिहार के सबसे बड़े जिला- पश्चिम चंपारण 

हिमालय के तराई क्षेत्र में बसा चंपारण का नाम चंपा + अरण्य से बना है जिसका अर्थ होता है- चम्‍पा के पेड़ों से घिरा जंगल. चंपारण जिले को ही दो भागों में विभाजित करके पश्चिम चंपारण और पूर्वी चंपारण का निर्माण हुआ.

पश्चिमी चम्‍पारण के उत्तर में नेपाल और दक्षिण में गोपालगंज जिला स्थित है. इसके पूर्व में पूर्वी चंपारण है, जबकि पश्चिम में यूपी की सीमा जुड़ती है. बिहार के कुल वन्य क्षेत्र का सबसे बड़ा हिस्सा पश्चिम चंपारण में है. प्रदेश का एकमात्र बाघ अभयारण्य यहीं स्थित है.

पश्चिम चंपारण की विशेषता

गंडक एवं सिकरहना और इसकी सहायक नदियां यहां की भूमि को उपजाऊ बनाती हैं. खेती यहां के लोगों के लिए रोजगार का बड़ा साधन है. बासमती चावल और गन्ना की पैदावार काफी है. यहां के बासमती चावल को विदेश में भी एक्सपोर्ट किया जाता है.

पश्चिम चंपारण में देखने वाली चीजें

यहां एक बौद्धकालीन स्तूप है जिसे केसरिया स्तूप के नाम से जाना जाता है. यहां स्थित राजकीय चितवन नेशनल पार्क में संरक्षित बाघ के अलावे काला हिरण, साँभर, चीतल, भालू, भेड़िया, तेंदुआ, नीलगाय, लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली, अजगर जैसे वन्य जीव पाए जाते हैं.

एकसिंगी गैंडा और जंगली भैंस भी दिख जाते हैं. इस लिहाज से टूरिज्म भी रोजगार का एक बड़ा जरिया है. हालांकि, अभी तक सरकार की ओर टूरिज्म सेक्टर को बढ़ाने के समुचित प्रयास नहीं किए गए.

बिहार का सबसे छोटा जिला- शिवहर

बिहार के सबसे छोटे जिले शिवहर के जर्रे-जर्रे में आस्था और भक्ति है. इस स्थली का अपना पौराणिक और धार्मिक इतिहास है. कहते हैं कि यह स्थली पर भगवान शिव और हरि के मिलन की भूमि है.

इसीलिए इसका नाम शिवहर पड़ा. रामायण और महाभारत काल से भी इसका सीधा संबंध रहा है. जिला बनने से पहले तक यह सीतामढ़ी जिला का अनुमंडल हुआ करता था.

शिवहर का इतिहास

6 अक्टूबर 1994 को शिवहर एक जिला के रूप में आया. यह जिला तीन जिला से घिरा हुआ है. इसके उत्तर-पूर्व में सीतामढ़ी, पश्चिम में पूर्वी चम्पारण और दक्षिण में मुजफ्फरपुर जिला है. इस जिले की जमीन उपजाऊ है इसलिए सभी प्रकार की फसलें पैदा होती हैं.

शिवहर जिले की विशेषता

2011 के जनगणना के अनुसार शेखपुरा के बाद सबसे कम आबादी वाले जिले में इसका नाम आता है. यह जिला पिछड़ेपन का काफी शिकार हुआ. इस जिले की साक्षरता मात्र 38% है जो राष्ट्रीय और राजकीय औसत से काफी कम है. बाढ़ से काफी प्रभावित रहने के कारण यहां सड़कों का अच्छा नेटवर्क भी नहीं है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *