यहां 3064 करोड़ की लागत से बनने वाला है 6 लेन पुल, जमीन की कीमतों में 6 गुना वृद्धि, जानें रेट
नए साल में सारण को कई नई सड़क परियोजनाओं की बड़ी सौगात मिलने जा रही है. केंद्र सरकार की ओर से जल्द ही सारण में करीब 14000 करोड़ रुपये की विभिन्न सड़क विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी जाएगी. वहीं 42 महीने 3,064 करोड़ रुपये की लागत से दीघा से सोनपुर के बीच गंगा नदी पर 6 लेन केबल ब्रिज भी बनेगा, जिसे भारत सरकार से स्वीकृति मिल गई है. इस पुल के स्वीकृत होने के साथ नया गांव से सोनपुर के बीच में प्रॉपर्टी के दाम आसमान छूने लगे हैं ।
स्थानीय लोगों के अनुसार देखते ही देखते किसने की खेती वाली जमीन कमर्शियल जमीन में तब्दील हो रही है जिससे किसानों को जमीन के अच्छे दाम मिल रहे हैं और यही कारण है कि पटना और छपरा के बिल्डर यहां आकर जमीन की प्लॉटिंग कर रहे हैं. छपरा के व्यवसाय राजीव कुमार का कहना है कि कुछ दिन पहले सोनपुर के आसपास जमीन की कोई कीमत नहीं थी लेकिन जब से पुल निर्माण की खबर लोगों को मिली है और दीघा के पास पुल चालू हुआ है तब से यहां जमीन धीरे-धीरे महंगा होने लगा है.
उन्होंने बताया कि दीघा से सोनपुर के बीच जेपी सेतु बनने के बाद जिन ज़मीनों को एजेंटों ने औने-पौने दाम में खरीदा था, अब एजेंट उन ज़मीनों को ऊंची कीमतों पर प्लाटिंग कर जमीन बेच रहे हैं. राजीव कुमार का कहना है कि अब दीघा-सोनपुर के बीच 6 लेन पुल के लिए भी मंजूरी मिल चुकी है. ऐसे में अब सोनपुर में जमीन की कीमतों में 6 गुना तक वृद्धि हुई है. राजीव कुमार के अनुसार फिलहाल यहां सड़क के पास 25 से 30 लाख रुपये प्रति कट्ठा के हिसाब से जमीन मिल रही है. वहीं इन ज़मीनों की कीमतें पुल बनने से पहले प्रति कट्ठा 3 से 4 लाख रुपये थी. कुछ लोग इस इलाके को ग्रेटर पटना बता रहे हैं. छपरा हाजीपुर फोरलेन से सटे जमीन की कीमत तो सोने से भी महंगी हो गई है.
दरअसल हाल के दिनों में सरकार ने छपरा जिले को कई परियोजनाएं दी है जिसमें दीघा के पास पुल के साथ-साथ शेरपुर-दिघवारा गंगा पथ पुल, सोनपुर-दरिहारा-साहेबगंज, सूपर एक्सप्रेसवे एनएच 137, ग्रीनफिल्ड परियोजना के तहत बलिया-माझी-छपरा फोर लेन एक्सप्रेस वे, राष्ट्रीय राजमार्ग 722 के पांच स्थानों पर ब्लैक स्पॉट के स्थायी निदान के लिए अंडरपास, परसा, अमनौर, गरखा बाईपास, एनएच 722 पर पीबीएमसी से निर्माण, छपरा एनएच 19 के 21 किलोमीटर बाईपास को 6 लेन में परिवर्तन का कार्य आदि शामिल है. इन परियोजनाओं के पूरा होने से पटना की दूरी छपरा से काफी कम हो जाएगी जिसके कारण लोग अब पटना के बजाय छपरा से सटे इलाकों में बसना पसंद कर रहे हैं.