WFI में किस बात का था ‘दंगल’? जो बन गया रेसलर साक्षी मलिक के संन्यास की वजह

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया यानी WFI को 11 महीने की नूरा कुश्ती के बाद नया अध्यक्ष तो मिल गया, लेकिन उसने अपनी ही एक काबिल पहलवान को खो दिया. ओलंपिक में मेडल जीतने वाली रेसलर साक्षी मलिक ने ऐलान कर दिया कि अब वह रिंग में कभी नहीं दिखेंगी. बेहद नम आंखों से उन्होंने संन्यास का ऐलान किया. भावुक होकर उन्होंने जो भी कहा वह एक सवाल बन गया. वो सवाल जो दिलों में कौंधता रहेगा.

साक्षी मलिक का ये फैसला चौंकाने वाला तो नहीं, लेकिन देशवासियों को झटका देने वाला जरूर रहा. दरअसल साक्षी के इस संन्यास की वजह WFI के नए अध्यक्ष संजय सिंह रहे. संजय सिंह फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के बेहद करीबी और सहयोगी हैं. साक्षी पहवानों के साथ बृजभूषण सिंह के खिलाफ ही मोर्चा खोले थीं. संन्यास के ऐलान में भी उन्होंने यही कहा कि यदि फेडरेशन में बृजभूषण जैसे ही लोगों को जगह मिलेगी तो मैं अपनी कुश्ती छोड़ती हूं. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि हम न्याय की उम्मीद कर रहे थे जो हमें नहीं मिला, रेसलिंग का भविष्य अंधकार में है’

WFI में क्यों छिड़ा था दंगल

WFI के दंगल की शुरुआत इस साल की शुरुआत उस वक्त हुई थी तक साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट समेत तमाम पहलवानों ने WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर यौग शोषण का आरोप लगाते हुए आंदोलन छेड़ दिया था. 18 जनवरी को पहलवान जंतर मंतर पर धरने पर बैठे. बृजभूषण सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इन्कार किया, लेकिन पहलवान अपनी मांगों पर अड़े रहे. अगले दिन पहलवानों की खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बैठक हुई. 20 जनवरी को एक कमेटी गठित की गई, जिसे आरोपों की जांच करने की जिम्मेदारी दी गई. 21 जनवरी को पहलवानों ने धरना खत्म कर दिया.

अप्रैल में फिर धरने पर लौटे पहलवान

23 अप्रैल को पहलवानों ने जंतर मंतर पर फिर धरना शुरू कर दिया. अपनी मांगे पूरी न होने पर पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और बृजभूषण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की. 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज कर लिए. 7 मई को किसान नेता राकेश टिकैत जंतर मंतर पहुंचे और पहवानों के साथ प्रदर्शन में शामिल हुए. 28 मई को पुलिस ने धरना स्थल को खाली करा लिया.

मेडल बहाने पहुंच गए पहलवान

29 मई को पहलवानों ने गंगा में मेडल बहाने का ऐलान कर दिया. पहलवान हरिद्वार पहुंचे, लेकिन नरेश टिकैत ने उन्हें रोक लिया. 3 जून को पहलवानों ने गृहमंत्री से मुलाकात की और इसके बाद 5 जून को पहलवान नौकरी पर लौट आए और 9 जून को बुलाए गए धरने को रद्द कर दिया गया. ऐसी खबरें उड़ीं कि पहलवानों ने धरना वापस ले लिया है, हालांकि बाद में पहलवान साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने ट्वीट कर जानकारी दी कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

टलते रहे चुनाव, बढ़ती रही तारीख

WFI के चुनाव का ऐलान किया गया, 21 जून की तारीख तय की गई, लेकिन गुवाहाटी फेडरेशन की अपील के बाद कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया. इधर बृजभूषण सिंह के खिलाफ लगे आरोप की कोर्ट में सुनवाई होती रही. उधर WFI चुनाव की तारीख आगे बढ़ती रही. आखिरकार 21 दिसंबर की तारीख तय हुई और बृजभूषण सिंह सिंह के करीबी संजय सिंह अध्यक्ष चुने गए.

दबदबा था…दबदबा रहेगा

संजय सिंह की जीत के बाद बृजभूषण सिंह ने ऐलान किया कि दबदबा था और दबदबा रहेगा. दरअसल चुनाव में संजय सिंह ने ओलंपिक विजेता अनीता श्योराण को हराया. अनीता को बृजभूषण के खिलाफ धरना देने वाले पहलवानों का समर्थन हासिल था. संजय सिंह की जीत के बाद चुनाव परिणाम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बृज भूषण शरण सिंह ने कहा कि यह देश के पहलवानों की जीत है. सभी कुश्ती संघ पटाखे फोड़ रहे हैं. बृजभूषण सिंह ने यह भी कहा कि 11 महीने उनके खिलाफ जो गतविधियां रुकी थीं अब वे एक बार फिर शुरू होंगी.

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