जब रोशनी का वजन नहीं होता, तो ग्रैविटी कैसे मोड़ सकती है उसे, क्या आप जानते हैं जवाब?

ग्रैविटी हर उस वस्तु पर असर डालती है, जिसका भार होता है. प्रकाश का भार नहीं होता है, फिर भी ब्लैक होल जैसे पिंडों का गुरुत्व उसे मोड़ देता है. तो क्या प्रकाश का भी वास्तव में भार होता है. नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं होता है. तो बिना भार के ग्रैविटी उस पर कैसे असर डालती है. प्रकाश पर ग्रैविटी के असर का जवाब आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत ने दिया है. यह समझने के लिए हमें सापेक्षता के सिद्धांत के नजरिए को समझना होगा.

गौर करने वाली बात यह है कि प्रकाश सामान्य रूप से तो सीधी रेखा में चलता है पर हम खुद पृथ्वी पर ही कई बार देखते हैं कि माध्यम बदलने पर उसकी दिशा बदल जाती है. हवा से पानी में जाने पर वह मुड़ जाता है. यही वजह है कि पानी से भरे कांच के ग्लास में सीधी स्ट्रॉ मुड़ी हुई इसीलिए दिखाई देती है.

प्रकाश का यह मुड़ना गुरुत्व की वजह से नहीं है. वास्तव में यह विद्युतचुंबकीय असर है. लेकिन जब यही प्रकाश ब्लैक होल या न्यूट्रॉन तारे के पास से गुजरते हुए जरूर मुड़ती है. इसकी व्याख्या आइंस्टीन के सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत करता है.

बहुत अधिक भार वाले पिंड तो गुरुत्व से प्रभावित होते हैं. अंतरिक्ष में चलने फिरने वाले ग्रह तारों के रास्तों के बारे में सापेक्षता का सिद्धांत अलग ही तरह से देखता है. उसके मुताबिक पिंड एक ऐसे रास्ते में चलते हैं जो गुरुत्व से बदल सकता है. ये बिलकुल उसी तरह से ट्रेन नहीं मुड़ती बल्कि ट्रैक मुड़ने पर ट्रेन मुड़ती है. चाहे माल गाड़ी हो या सवारी ट्रेन दोनों ही ट्रैक के मुड़ने के कारण मुड़ जाएंगीं.

सापेक्षता का सिद्धांत कहता है कि प्रकाश भी अंतरिक्ष में ऐसे रास्तों पर जाता है जिन पर गुरुत्व का असर होता है भले ही प्रकाश का भार हो जाहे ना हो. इसके पीछे एक दलील यह भी जाती है कि प्रकाश की गति ही उसे गुरुत्व से प्रभावित होने के काबिल बना देती है. इस तरह से भार- ऊर्जा की वजह से स्पेस टाइम को मुड़ने का असर ही ग्रैविटी या गुरत्व कहलाता है.

 

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