चीन के मुकाबले कहां ठहरता है हमारा रेल नेटवर्क, कितने लोग रोज करते हैं सफर… आंकड़ों से जानिए सबकुछ
रेलवे भारत की जीवन रेखा है। भारत सरकार इसे किफायती और सुलभ बनाने के लिए रेल यात्रा पर सब्सिडी देती है। पिछले 10 साल में रेलवे की उपलब्धियों पर रेल संबंधी स्थायी समिति के सभापति राधा मोहन सिंह ने जानकारी दी है। इसे रेलवे का रिपोर्टकार्ड मानें तो गलत नहीं होगा। आइए, यहां आंकड़ों से अपनी रेल के बारे में जानते हैं।
रेलवे भारत की जीवन रेखा है और भारत सरकार इसे किफायती और सुलभ बनाने के लिए रेल यात्रा पर सब्सिडी देती है। जब यात्री ट्रेन टिकट खरीदते हैं तो वे औसतन परिचालन लागत का केवल 53% ही चुकाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोकस के कारण भारत अब दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती रेल नेटवर्क प्रणाली है
– 2022-23 में स्विट्जरलैंड रेलवे के बराबर 5243 किलोमीटर जोड़ा गया है
-9 साल (2014-23) में जर्मन रेलवे के बराबर 25,434 किमी जोड़ा गया है
– 2004-05 के लिए रेलवे बजट 8,000 करोड़ रुपये और 2013-14 के लिए यह 29,055 करोड़ रुपये रहा
– इसे बढ़ाकर वर्ष 2023-24 के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये
– रेलवे बजट में 2004-05 की तुलना में 30 गुना बढ़ोतरी हुई है
– 2013-14 की तुलना में 8 गुना बढ़ोतरी
– नई रेलवे लाइनें
•2004-14 के दौरान 14,985 रूट किलोमीटर रेल ट्रैक का काम किया गया
•पिछले 9 साल (2014-23) में 25,871 रूट किलोमीटर ट्रैक बिछाने का काम किया गया है
•यह नई रेलवे लाइनों में 75% की बढ़ोतरी है
•वर्ष 2022-23 में प्रतिदिन 14 किमी ट्रैक बिछाया गया और इस वर्ष 16 किमी प्रतिदिन ट्रैक बिछाने का लक्ष्य है
दोहरीकरण पर क्या कहते हैं आंकड़े
– 2014 के बाद से 14,337 किलोमीटर रेलवे लाइन दोहरीकरण कार्य शुरू किया गया है।
– 2014 से अब तक 5,750 किलोमीटर लंबाई का गेज परिवर्तन शुरू किया गया है।
– 2014 के बाद से रेलवे विद्युतीकरण परियोजनाओं पर खर्च की गई राशि 5 गुना (375% से अधिक) बढ़ गई है