2 दिग्गजों के गुस्से में पिस गया संगीत का ये बादशाह, बेहद टेलेंटेड होने के बाद भी गरीबी में काटी जिंदगी, फिर बेटे ने दिलाई शोहरत

बॉलीवुड के ‘टॉप-5’ म्यूजिक कंपोजर्स की बात की जाएगी तो अनु मलिका का नाम भी गिना जाएगा. अनु मलिक ने बॉलीवुड में दर्जनों सुपरहिट गाने दिए हैं. लेकिन अनु मलिक से भी बड़े म्यूजिक कंपोजर उनके पिता सरदार मलिक रहे हैं. सरदार मलिक संगीत के असल सरदार थे. लेकिन बेहद जहीन होने के बाद भी सरदार मलिक अपने करियर में शोहरत का खास मुकाम हासिल नहीं कर पाए.

सरदार मलिका का करियर म्यूजिक की दुनिया के 2 दिग्गजों के गुस्से का शिकार हो गया. इन दो दिग्गजों का नाम है लता मंगेशकर और साहिर. दोनों की दुश्मनी जग जाहिर रही है. इन्ही की दुश्मनी और गुस्से में सरदार मलिका का करियर परवान नहीं चढ़ पाया.

पंजाब के कपूरथाला में हुआ था जन्म

सरदार मलिका का जन्म 13 जनवरी 1930 को पंजाब के कपूरथाला में हुआ था. सरदार ने अपनी पढ़ाई उत्तराखंड से की थी. पढ़ाई के दौरान सरदार मलिक ने अलमोड़ा के उदय शंकर इंडिया कल्चरल सेंटर से डांस की तालीम ली. सरदार मलिक ने कथकली, भरतनाट्यम और मणिपुरी जैसे फोक डांस में मास्टरी हासिल की. डांस के साथ ही सरदार मलिक ने उस्ताद अलाउद्दीन खान से संगीत की ट्रेनिंग हासिल की. इसके बाद 40 के दशक में फिल्मी दुनिया में नाम कमाने का सपना लिए मुंबई आ गए.

ये थी झगड़े की वजह

मुकेश से लेकर मोहम्मद रफी तक सरदार के संगीत के फैन थे. लेकिन सरदार मलिक का टैलेंट 2 दिग्गज सितारों के गुस्से और गुरूर में तबाह हो गया. इतना ही नहीं जिन सितारों की लड़ाई में सरदार का करियर डूब गया उनमें से एक को सरदार ने खुद अपने गानों में ही ब्रेक दिया था. दरअसल फिल्म खेद में सरदार मलिक ने म्यूजिक कंपोज किया था और इसी फिल्म में पहली बार साहिर लुधियानवी ने अपनी कलम का जादू बिखेरा था. हालांकि ये फिल्म रिलीज नहीं हो सकी. कुछ ही सालों बाद साहिर और लता मंगेशकर के बीच मेहनताने को लेकर काफी तनातनी होने लगी.

साहिर और लता मंगेशकर के बीच हुआ था झगड़ा

साहिर अपने गानों के लिए लता मंगेशकर से 1 रुपया ज्यादा लिया करते थे. इसी दौरान एक फिल्म में साहिर ने गाने लिखे और लता मंगेशकर इन गानों को आवाज दे रही थीं. गानों को कंपोज किया था सरदार मलिक ने. जब स्टूडियो में गाने की रिकॉर्डिंग हो रही थी तो एक गाने की लाइन में लता मंगेशकर कई बार अटक रही थीं. जिसके बाद लता मंगेशकर ने साहिर से इस लाइन को बदलने की बात कही. लेकिन साहिर ने इससे मना कर दिया जिसके बाद दोनों के बीच तनातनी का माहौल हो गया. लता मंगेशकर स्टूडियो छोड़कर चली गईं. साथ ही लता मंगेशकर सरदार मलिक से भी नाराज हो गईं क्योंकि उन्होंने लता का साथ नहीं दिया. बाद में सरदार मलिक को काम मिलना बंद हो गया और स्टूडियो के दरवाजे क्लोज होने लगे. कई बार कोशिश के बाद भी सरदार को काम नहीं मिला. इसी तरह 2 सितारों के गुस्से और गुरूर की भेंट एक टैलेंटेड संगीतकार का टैलेंट तबाह हो गया.

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