आगरा में BDO ने DM को मारा जूता: अब किसकी जाएगी नौकरी, कौन जाएगा जेल? क्या कहता है कानून

उत्तर प्रदेश के आगरा में जिलाधिकारी और बीडीओ के बीच तीखी झड़प हो गई. मामला इतना बढ़ गया कि पहले कथित तौर पर जिलाधिकारी भानु चंद्र गोस्वामी ने खंड विकास अधिकारी (बीडीओ) अनिरुद्ध सिंह चौहान पर पेपरवेट फेंक दिया. इसके बाद गुस्साए बीडीओ (BDO) ने डीएम (Agra DM) को जूता मार दिया. अब इस मामले में बीडीओ के खिलाफ धारा 323, 504, 506 और 332 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है. पुलिस आरोपी बीडीओ की तलाश कर रही है.

अगर कोई सरकारी कर्मचारी अपने वरिष्ठ अफसर की पिटाई कर देता है तो उसे क्या सजा मिलती है? नौकरी जाती है या जेल जाना पड़ता है? अगर कोई आम आदमी सरकारी कर्मचारी से उलझता है तो उसे क्या सजा होती है? समझते हैं इस Explainer में…

जेल होगी या जाएगी नौकरी, कैसे होता है तय?

अगर कोई सरकारी कर्मचारी अपने वरिष्ठ अफसर से अभद्रता, गाली-गलौच अथवा मारपीट करता है तो कानूनी भाषा में इसे ”अवज्ञा” (Insubordination) कहते हैं. यह अंग्रेजों के काल से भी चला आ रहा है. सिविल प्रशासन और आर्मी, एयरफोर्स अथवा नेवी में ”अवज्ञा” के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आदर्श तिवारी  से बातचीत में बताते हैं कि अगर सिविल प्रशासन की बात करें तो ऐसे केसेज में दो तरीके की कार्रवाई होती है. पहला- क्रिमिनल एक्शन, जिसके तहत भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के मुताबिक कार्रवाई होती और दूसरा है- सिविल एक्शन, जिसके तहत विभागीय कार्रवाई होती है.

क्रिमिनल एक्शन: IPC के सेक्शन 166, 166A, 186, 353 इत्यादि में मुकदमा दर्ज हो सकता है. अलग-अलग धाराओं में दोषी पाए जाने पर 2 साल की सजा और जुर्माने या दोनों का प्रावधान है.

डिपार्टमेंटल एक्शन: अगर विभागीय जांच (Departmental Enquiry) के बाद संबंधित व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसको दो तरीके की सजा दी जा सकती है. पहली मेजर और दूसरा माइनर. मेजर पेनाल्टी के दायरे में निलंबन अथवा बर्खास्तगी या डिमोशन इत्यादि आता है. माइनर में कुछ दिन जबरन छुट्टी, वेतन में कटौती जैसी सजा हो सकती है. इसके अलावा संबंधित व्यक्ति के खिलाफ मारपीट, गाली-गलौच, अभद्रता अथवा जो भी आरोप है, उससे संबंधित सामान्य धाराओं में भी मुकदमें दर्ज हो सकते हैं और पुलिस उसी अनुसार कार्रवाई कर सकती है.

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