चीन के जासूसी जहाजों को जवाब देगा भारत का सर्वे शिप ‘संध्याक’, नौसेना में होगा शामिल, जानें खूबियां

भारतीय नौसेना में शनिवार को सर्वे शिप संध्याक शामिल होगा. विशाखापट्टनम के नौसेना डॉकयार्ड में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल और पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर की मौजूदगी में इसे शामिल किया जाएगा. इस सर्वे शिप को कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने बनाया है. अभी और चार ऐसे सर्वे शिप बनाए जाएंगे और शामिल होंगे.

टेस्टिंग और ट्रायल सफल होने के बाद अब इसे नौसेना का हिस्सा बनाया जा रहा है, जो खास तरह से काम करते हुए दुश्मन पर भी नजर रखेगा और उसके मंसूबों से वाकिफ कराएगा. जानिए कितना खास है सर्वे शिप संध्याक.

कैसे काम करेगा सर्वे शिप?

सुरक्षा के लिहाज से संध्याक काफी खास है. इसका काम समुद्री नेविगेशन को आसान बनाना है. समुद्र की गहराई पर नजर रख सकेगा. दो डीजल इंजनों से चलने वाले संध्याक में 18 अधिकारी और 160 सैनिकों की तैनाती की जा सकेगी. 288 फीट लंबे सर्वे शिप का वजन 3400 टन है. 42 फीसदी ऊंची बीम वाले इस सर्वे शिप की तैनाती पूर्वी नौसैनिक कमांड विशाखापट्टनम में होगी.खास बात है कि यह 80 फीसदी स्वदेशी है. इसमें बोफोर्स गन का इस्तेमाल किया गया है. संध्याक में चेतन हेलिकॉप्टर की तैनाती की जा सकती है. यह समुद्र में जासूसी करने वाले चीन के जहाजों को जवाब देगा.

क्या काम करेगा?

आसान भाषा में समझें तो सर्वे शिप संध्याक समुद्र नेविगेशन को बेहतर बनाएगा. यह बंदरगाहों से लेकर तटीय क्षेत्रों का सर्वे करेगा. समुद्र की गहराई में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करके कई जानकारियां देगा. इसके साथ ही यह नौसैनिक अभियानों में अहम भूमिका निभाएगा. यह मल्टी-बीम इको-साउंडर्स सहित अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों, सैटेलाइट बेस्ड पोजिशनिंग सिस्टम और स्थलीय सर्वेक्षण उपकरणों से लैस है.

नया सर्वे शिप संध्याक अपने पिछले वर्जन का काफी अपग्रेड वर्जन है. पुराना वर्जन भारतीय नौसेना में 1981 से 2021 तक रहा है. बाद में इसे हटा दिया गया था. पुराने वर्जन के मुकाबले नया सर्वे शिप काफी एडवांस्ड है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, संध्याक सेना के 4 एडवांस सर्वे शिप में से एक है.

क्या-क्या नौसेना में शामिल होगा?

इसे तैयार करने वाली कंपनी कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने पहले भारतीय नौसेना के लिए कई वॉरशिप बनाए हैं. GRSE ने 1961 में देश के पहले स्वदेशी वॉरशिप आईएनएस अजय को विकसित किया था. तब से अब तक यह भारतीय सेना के लिए 70 से अधिक वॉरशिप तैयार कर चुकी है.

इसका इस्तेमाल हॉस्पिटल शिप की तरह भी किया जा सकता है. मानवीय मदद और राहत कार्यों में भी काम आ सकता है. GRSE के चेरयमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर का कहना है, भारतीय नौसेना के लिए 18 और वॉर शिप तैयार किए जा रहे हैं. इसमें 17A एडवांस्ड युद्धपोत, आठ पनडुब्बी रोधी युद्धपोत और चार नेक्स्ट जनरेशन गश्ती जहाज शामिल हैं. इस तरह भारतीय नौसेना और मजबूत होगी और दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देगी.

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