महुआ मोइत्रा के साथ दर्शन हीरानंदानी भी बने आरोपी, कैश फॉर क्वेरी मामले में CBI ने दर्ज की FIR

कैश फॉर क्वेरी मामले में सीबीआई ने FIR दर्ज की है. इस केस में अब महुआ मोइत्रा के साथ-साथ दर्शन हीरानंदानी को भी आरोपी बनाया गया है. महुआ मोइत्रा, निष्कासित सांसद (लोकसभा), दर्शन हीरानंदानी और अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और पीसी अधिनियम, 1988 की धारा, 7 8 और 12 (2018 में संशोधित) के तहत मामला दर्ज किया गया है. इसीके साथ महुआ मोइत्रा की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.

सीबीआई ने 19 मार्च को लोकपाल के आदेश के बाद पूर्व टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और दर्शन हीरानंदनी प्राइवेट पर्सन और अन्य अज्ञात आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी यानी साजिश करना और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की धारा 7, 8 और 12 के तहत रेगुलर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. टीएमसी की पूर्व सांसद महुआ पर आरोप था कि उन्होंने अपना लोकसभा का लॉगइन आईडी पासवर्ड दर्शन हीरा नंदानी को देकर न सिर्फ क्यूरी के बदले कैश और अन्य फायदे लिए बल्कि साथ ही अपना लोकसभा लॉगइन पासवर्ड शेयर करके नेशनल सिक्योरिटी से भी खिलवाड़ किया.

इससे पहले सामने आया था कि, महुआ मोइत्रा ने अपने कार्यालय और आवास की सीबीआई द्वारा तलाशी के बाद ईसीआई को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने इस तलाशी अभियान को अवैध बताया है. उन्होंने ईसीआई से अपील की है कि आचार संहिता की अवधि में केंद्रीय जांच एजेंसियों के आचरण की जांच के लिए उचित दिशानिर्देश जारी करने के लिए कहें. एमसीसी के दौरान उम्मीदवारों और राजनीतिक रूप से उजागर लोगों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने के लिए एजेंसियों को उचित आदेश जारी करें.

बता दें कि TMC नेता महुआ मोइत्रा से जुड़े कई ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी की है. यह कार्रवाई ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ (Cash for Query) से जुड़ा है. जांच एजेंसी ने कोलकाता समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की थी. गुरुवार को उनके खिलाफ CBI ने रेगुलर केस दर्ज किया था. दिल्ली से सीबीआई की एक टीम महुआ के पिता के दक्षिण कोलकाता के अलीपुर इलाके स्थित फ्लैट पर पहुंची थी.

लोकपाल ने ‘पैसे लेकर सवाल पूछने’ के मामले में CBI को महुआ मोइत्रा के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया था. लोकपाल ने सीबीआई को निर्देश दिया कि महुआ मोइत्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज कर जांच की जाए. इसके साथ ही लोकपाल ने जांच एजेंसी को छह महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है.

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