किसान हो जाएं सावधान, फरवरी महीने में गेहूं की फसल को हो सकता है नुकसान

इस बार देश में गेहूं का अधिक उत्पादन होने का आशा है। गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्य जैसे हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस साल किसानों ने गेहूं की अधिक बुवाई की है, जिससे इस साल गेहूं का क्षेत्रफल पिछले रबी मौसम की तुलना में बढ़ गया है।

इस साल देश में गेहूं का क्षेत्रफल 336.96 लाख हेक्टेयर है, जबकि पिछले साल इसी समय यह आंकड़ा 335.67 लाख हेक्टेयर था।

इसलिए सरकार ने इस साल 114 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके साथ ही इस साल देश में ठंड और शीतलहर के कारण गेहूं की फसल का अच्छा विकास हुआ है, जिससे किसानों को गेहूं की अधिक पैदावार की उम्मीद है।

लेकिन, फरवरी महीने ने गेहूं किसानों की चिंता बढ़ा दी है। क्योंकि फरवरी में मौसम में बदलाव होता है। इस महीने से तापमान में वृद्धि होने लगती है, जिससे गर्मी का एहसास होने लगता है।

इससे गेहूं की फसल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और उत्पादन भी कम हो सकता है। ऐसे में किसान निम्नलिखित उपायों का पालन करके अपनी गेहूं की फसल को बड़े नुकसान से बचा सकते हैं।

अभी ठंड का मौसम पूरा नहीं हुआ है और फरवरी के आने के साथ ही तापमान बढ़ने लगा है। कुछ राज्यों में तापमान सामान्य से 1-3 डिग्री सेल्सियस ज्यादा है, जिससे गर्मी का अनुभव होने लगा है।

यदि नए पश्चिमी विक्षोभ नहीं बनते हैं, तो शुष्क मौसम के कारण गर्मी और पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है।

ऐसे में तापमान बढ़ने पर गेहूं की फसल को आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करनी चाहिए। यदि हवा चल रही हो, तो शाम के समय सिंचाई करनी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समय गेहूं की फसल के विकास के लिए उपयुक्त है। इस दौरान गेहूं की फसल में कल्ले का विकास होता है।

ऐसे में गेहूं के कल्ले बनने के समय किसान अपने खेतों में 2 प्रतिशत पोटेशियम नाइट्रेट (13:0:45) का छिड़काव जरूर करें। इससे फसल को गर्मी से बचाव मिलेगा और गेहूं के कल्ले अच्छे से विकसित होंगे।

फरवरी के मध्य तक, गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग और कीटों के हमले की संभावना बढ़ जाती है। इस दौरान, किसानों को अपनी फसल की निगरानी बनाए रखने की जरूरत होती है।

अगर फसल में पीला रतुआ रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, तो किसान गेहूं की फसल में 2 किलोग्राम एनपीके को 200 लीटर पानी में घोल कर सकते हैं, या फिर 200 लीटर पानी में पांच किलोग्राम यूरिया और 700 ग्राम 33 प्रतिशत मात्रा वाला जिंक सल्फेट मोनोहाइड्रेट घोल का छिड़काव कर सकते हैं।

साथ ही, 20 ग्राम तायो प्रति एकड़ में 100 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव किया जा सकता है। इससे फसल में कीटों के अटैक की संभावना कम हो जाएगी और उत्पादन में वृद्धि होगी।

भारतीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, चालू रबी सीजन में 12 जनवरी तक देश में गेहूं की बुवाई का रकबा 336.96 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल के दौरान समान अवधि में 335.67 लाख हेक्टेयर का था।

उत्तर प्रदेश में 4.4 प्रतिशत अधिक क्षेत्र में गेहूं की बुवाई की गई है, जिससे पिछले साल के मुकाबले बढ़ोत्तरी हुई है। महाराष्ट्र और राजस्थान में गेहूं के बुवाई के रकबे में गिरावट की भरपाई हुई है, जबकि हरियाणा और पंजाब में इस बार की गेहूं की बुवाई लगभग पिछले साल के बराबर है।

इस साल, मध्य प्रदेश और राजस्थान में गेहूं की अधिक बुवाई हुई है, जिससे देश में गेहूं की बंपर पैदावार की उम्मीद है।

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