पिता को एक बार नाश्‍ता और दो वक्‍त की रोटी, जेब खर्च के लिए हर महीने दें 2000 रुपये; कोर्ट के फैसले ने जीता दिल

राजस्‍थान राजे-रजवाड़ों का प्रदेश है. यहां का वैभव और संपन्‍नता देशभर में प्रसिद्ध है. यह यहां के समाज का एक पक्ष है. दूसरा पक्ष सिसकियों और दर्द को समेटे हुए है. दरअसल, राजस्‍थान की राजधानी जयपुर की एक अदालत ने ऐसा फैसला दिया है, जिसके चर्चे हर तरफ हो रहे हैं. जब लायक हुए बेटों ने बुजुर्ग पिता का साथ छोड़ दिया तो पीड़ित बाप ने अपने ही बेटे के खिलाफ केस ठोक दिया. पिता की अर्जी पर स्‍थानीय अदालत ने ऐसा आदेश दिया जो एक मिसाल है. कोर्ट ने बुजुर्ग शख्‍स के चारों बेटों को आदेश दिया कि वह अपने पिता को एक बार नाश्‍ता और दो वक्‍त की रोटी दे. साथ ही जेब खर्च के लिए हर महीने 2000 रुपये भी दे.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर के शास्‍त्री नगर निवासी गोपाल लाल ने वरिष्‍ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्‍याण अधिनियम के तहत जयपुर शहर (उत्‍तर) एसडीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था. उनकी अर्जी पर कोर्ट ने चारों बेटों को आदेश देते हुए कहा कि वह अपने बुजुर्ग पिता को उम्रभर एक वक्‍त का नाश्‍ता और दो वक्‍त की रोटी दे. साथ ही हर महीने जेब खर्च के लिए रुपये देने का भी निर्देश दिया है. पिता ने अपने बेटों पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं.

पिता का आरोप

बुजुर्ग शख्‍स ने एसडीएम कोर्ट में दिए प्रार्थना पत्र में अपने चार बेटों पर गंभीर आरोप लगाए थे. पिता ने कहा कि उनके बेटे उनका भरण-पोषण नहीं करते हैं. उनके साथ मारपीट भी करते हैं. उन्‍होंने अपने प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया कि उनके बेटों ने उनकी जमा पूंजी भी हड़प ली है, इसके बाद उनके पास अपना पेट पालने का भी साधन नहीं रहा. शख्‍स ने कोर्ट से गुहार लगाई कि घर का कब्‍जा हटवाया जाए और भरण-पोषण के लिए राशि दिलवाई जाए. पिता के आरोप पर बेटों ने कहा कि वह उनके खाने-पीने के अलावा मेडिकल का खर्च उठाने के लिए तैयार हैं.

‘पौष्टिक भोजन कराएं’

मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद एसडीएम कोर्ट ने बुजुर्ग शख्‍स के चारों बेटों को पिता को पौष्टिक भोजन कराने का आदेश दिया. साथ ही बीमार पड़ने पर उनका इलाज भी कराएं. दूसरी तरफ, बेटों ने पिता के आरोप को गलत बताया. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि चारों बेटा हर महीने 500-500 रुपये जेब खर्च के लिए अपने बेटे को दें.

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