इस मिठाई के आगे छप्पन भोग भी फेल! स्वाद ऐसा कि कुछ घंटो में एक क्विंटल चट कर जाते हैं लोग
खाजा बिहार की प्रसिद्ध मिठाइयों में से एक है. खाजा का नाम सुनते ही जुबां पर नालंदा के सिलाव और सुपौल के पिपरा का नाम आ जाता है. आए भी क्यूं नहीं. कोसी और सीमांचल में आप कहीं का भी खाजा खा लें, पिपरा बाजार वाले खाजा के लिए जी ललचाता रहता है. लेकिन अब पिपरा बाजार का खाजा खाने या खरीदने के लिए आपको वहां जाने की जरूरत नहीं है. मधेपुरा शहर में ही आप शुद्ध देसी घी में बना पिपरा बाजार वाला खरीद सकते हैं. इसके लिए आपको बस स्टैंड आना होगा. यहां श्रवण पोद्दार पिछले 8 सालों से खाजा बेच रहे हैं ।
श्रवण पोद्दार के यहां दो प्रकार का खाजा बनाया जाता है. एक शुद्ध देसी घी में तैयार किया हुआ, तो वहीं दूसरे कोरिफाइन में तैयार किया जाता है. श्रवण ने बताया कि उनकी दुकान से प्रतिदिन एक क्विंटल से अधिक खाजा की बिक्री आसानी से हो जाती है. वे बताते हैं कि वह स्वयं पिपरा के रहने वाले हैं. वहीं से उन्होंने खाजा बनाने की कला सीखी है. इसलिए उनकी खाजा में पिपरा वाला ही टेस्ट रहता है. इस कारण मधेपुरा के अन्य दुकानों की तुलना में खाजा का टेस्ट अलग रहता है.
160 से 500 रुपए किलो तक है रेट
श्रवण के यहां 160 रुपए किलो से लेकर 500 रुपए किलो तक का खाजा मिलता है, जो शहर में ग्राहकों की पहली पसंद बन चुका है. उन्होंने बताया कि रिफाइन में तैयार खाजा 160 रुपए, तो वहीं घी वाला स्पेशल खाजा 500 रूप किलो बेचा जाता है. श्रवण का कहना है कि वह मूल रूप से सुपौल के पिपरा के रहने वाले हैं. 8 साल पहले दोस्त के साथ सिंहेश्वर घूमने आए थे. तभी एक दुकान पर खाजा की डिमांड देख यहां दुकान खोलने का आइडिया और फिर मधेपुरा में दुकान खोल ली.