लहसुन नहीं, इस चीज की खेती से लखपति बन गए किसान, बदली गांव की तस्वीर, झोपड़ी वालों ने बनवा ली कोठियां

भारत एक कृषि प्रधान देश है. गांवों में आज भी लोगों की गुजर-बसर खेती द्वारा होती है. वैसे तो अब खेती करने के कई आधुनिक तरीके आ चुके हैं. इनकी मदद से कम समय में किसान ज्यादा पैदावार के जरिये अच्छा-खासा मुनाफा कमा रहे हैं. लेकिन हर किसान इतना आधुनिक नहीं हो पाया है. कई किसान जानकारी के अभाव में आज भी पुराने तरीके से खेती कर अपना नुकसान कर रहे हैं. लेकिन सवाईमाधोपुर जिले के खंडार उपखंड का छान गांव के किसानों ने समय के साथ बदलने का फैसला किया.

छान गांव के किसान करीब नौ से दस महीने तक लगातार मिर्ची की खेती करते हैं. अगर आप इस गांव आएंगे, तो आपको लगभग हर किसान के घर की छत मिर्चियां सूखती नजर आ जाएगी. गांव के करीब दो हजार किसानों ने मिर्ची की खेती के जरिये अपनी किस्मत बदल डाली है. जिनके पास कुछ सालों तक अपना परिवार चलाने के लिए पैसे नहीं थे, वो आज रईसों की तरह जी रहे हैं. ये सब पॉसिबल हुआ है मिर्ची की खेती के कारण.

विदेशों तक डिमांड

छान गांव की मिर्चियों की सप्लाई विदेशों तक है. यहां किसान सालभर मिर्ची की खेती करते हैं. हर तरफ पहाड़ों की तरह मिर्ची सूखती नजर आ जाएगी. इस गांव की मिर्चियों की सप्लाई भारत के मार्केट में भी काफी ज्यादा है. दरअसल, इस गांव की जलवायु मिर्ची की खेती के लिए परफेक्ट है. कुछ सालों पहले गांव के कुछ किसानों ने इसकी खेती की शुरुआत की. जब उन्हें मुनाफ़ा हुआ तो उनकी देखादेखी कई किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी. आज किसान एक बीघा जमीन पर डेढ़ सौ क्विंटल मिर्ची का उत्पादन कर जमकर नोट छाप रहे हैं.

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