‘मैं लौट आया, अच्छे से पहचान लो…’ जोगी बनकर गांव पहुंचा युवक, फिर जो किया, सिहर गए ग्रामीण

दरभंगा जिले के केवटी प्रखंड के खिरमा गांव का रहने वाला मोहम्मद इफ्तिखार काम की तालाश में वर्ष 2001 में घर से दिल्ली के लिए ट्रैन से निकला लेकिन न तो वह दिल्ली पंहुचा, न ही लौटकर घर पहुंचा. इफ्तिखार आखिर कहां लापता हो गया, अब तक किसी को कुछ पता नहीं. इफ्तिखार के परिवारवालों ने लगातार उसकी खोज की, बाबाओं से लेकर मुल्ला मौलाना तक पहुंचकर अर्जी लगाई लेकिन करीब 24 वर्ष बाद भी आज तक उसका कहीं पता नहीं चला. परिवारवालों ने दिल पर पत्थर रख लिया.

समय बीतता चला गया, लापता इफ्तिखार के पिता मोहम्मद शौकत और मां शहजादी खातून अब बुजुर्ग हो गए हैं. मेहनत -मजदूरी कर कमाने खाने वाला मोहम्मद शौकत गरीब परिवार से है, ऐसे में ढलती उम्र में घर के अंदर एक बहुत छोटी सी दुकान चला अपना और परिवार का पेट भर रहा है. इसी बीच योगी के भेष में दो युवक मोहम्मद शौकत के घर पहुंचे और खुद को वर्षों पहले लापता मोहम्मद इफ्तिखार बता लोगों को पहचानने की कोशिश की.

परिवार से मांगे तीन लाख रुपयेहाथों में सारंगी बजाता जोगी तरह-तरह के बिछुड़ने और मिलन के राग वाले गाने गाए और बजाए. कुछ पल के लिए न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे गांव में इफ्तिखार के आने की खुशी की लहार दौड़ गई. परिवारवाले उसकी आवभगत में भी जुट गए. लोगोंं की भीड़ इफ्तिखार को देखने के लिए उमड़ पड़ी. एक के बाद एक पुरानी बातें बता जोगी ने परिजन को विशवास में भी लेने की कोशश की. आखिरकार जोगी युवक को इफ्तिखार मान लोग उसे अपने पास रखने की बात मान ली. इसके बाद जोगी का खेल शुरू हुआ. जोगी ने साथ रहने के लिए परिवार से ढाई से तीन लाख रुपये की मांग की और कहा कि ये रुपये अपने गुरु को देने और पूजा-पाठ कर वहां से आजादी पाने के लिए चाहिए.

परिजनों को तीन दिन का समय दियागरीब परिवार ने पैसे देने में असमर्थ जताई. जोगी परिजनों को तीन दिन का समय देकर चला गया. फिर दूसरे दिन लौट आया और परिवारवालो से थोड़ा बहुत घुलन मिल गया. खाना-पीना भी साथ किया. घर की महिलाओं को अपने विशवास में लेने के लिए तरह तरह की बातें बनाई. महिला से एक मोबाइल और कुछ पैसे ले लिए. फिर तीसरे दिन भी आया लेकिन जोगी को खतरे का अहसास होने लगा. इसके बाद लौटकर घर नहीं आया. फिर फोन किया और इफ्तिखार के घरवालों से बातचीत की. ज्यादा पैसे नहीं होने की स्थिति में हजार रुपये पर आकर टिक गई. इतने भी पैसे नहीं होने की स्थिति में जोगी अंत में दो हजार ही फोन पर गूगल पे करने की बात कहता है ताकि वे परिवार से मिलने की खुशी में अपने दोस्तों को एक छोटा सा भोज ही करा सके और गांव आकर साथ रहने लगे.

इसी बीच, इफ्तिखार के माता-पिता का शक गहरा गया और ठगी की आशंका हुई. गांव के लोगों ने उन्हें बताया कि जोगी ने झूठी कहानी गढ़ी थी और आसपास के गांव से इफ्तिखार के लापता होने की बात सुनी थी.

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