भारत हाथ खींच ले तो इस देश में ना मिलेगा इलाज, ना पढ़ पाएंगे बच्‍चे, दुश्‍मन कर देगा खात्‍मा

भारत दुनिया के कई देशों की आर्थिक, मेडिकल और यहां तक कि सैन्‍य मदद भी करता है. कुछ दिन पहले तक भारत के खिलाफ जहर उगल रहा मालदीव भी ऐसे ही देशों में शुमार है. दरअसल, कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप गए. उन्‍होंने वहां की खूबसूरत तस्वीरें साझा कीं और भारतीय पर्यटकों से लक्षद्वीप आने की अपील की. इसके बाद लक्षद्वीप और मालदीव की तुलना होने लगी. सोशल मीडिया पर दोनों जगहों के टूरिज्म पर बहस छिड़ गई. मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों को पीएम मोदी का लक्षद्वीप जाना इतना अखरा कि उन्‍होंने भारत के बारे में अनापशनाप बोलना शुरू कर दिया. हालांकि, बाद में मालदीव सरकार बैकफुट पर आ गई और तीनों मंत्रियों को सस्‍पेंड कर दिया गया.

मालदीव की अर्थव्‍यवस्‍था टूरिज्म पर निर्भर है. वहीं, हर साल मालदीव पहुंचने वाले पर्यटकों में एक तिहाई भारतीय ही होते हैं. इसके अलावा भारत कई तरीके से मालदीव की मदद करता रहा है. भारत मालदीव को चावल, दाल, सब्जियां, चिकन, फल, पानी, कपड़े और दवाइयां भेजता है. वहीं, अगर भारत हाथ खींच ले तो मालदीव को स्कूल, अस्पताल, पुल, सड़क और एयरपोर्ट तक बनाना मुश्किल हो जाएगा. दरअसल, सीमेंट, ईंट और बोल्डर जैसी बुनियादी ढांचा निर्माण की सामग्री भारत ही मालदीव को भेजता है. ऐसे में अगर भारत बड़बोले मालदीव को ये चीजें भेजने से इनकार कर दे तो मालदीव में बच्‍चों की पढ़ाई, मरीजों का इलाज और सुचारू यातायात की दिक्‍कतें पैदा होने लगेंगी.

भारत ने बनवाया था मालदीव का सबसे बड़ा अस्‍पताल

मालदीव का 300 बेड वाला मल्टी स्पेशियलिटी इंदिरा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल देश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार है. मालदीव में ये अस्‍पताल भारत ने ही बनवाया है. साफ है कि अगर मालदीव और भारत के बीच टकराव का माहौल बना रहता है तो उसके नागरिकों को हर रोज परेशानियां उठानी पड़ेंगी. यही नहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि मालदीव के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भारत वहां के 34 आइलैंड पर स्‍वच्‍छ जल की कई परियोजनाएं चला रहा है. भारत ने मालदीव की पिछली सरकार के साथ वहां के इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए डेवलपमेंट का भी करार किया था. इसके अलावा भारत की कई कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनियां दिनरात मालदीव में विकास का काम कर रही हैं ।

मालदीव की सेना का 70% प्रशिक्षण भारत में

भारत मालदीव की सुरक्षा के लिए उसकी सेना को प्रशिक्षण भी देता है. इस प्रशिक्षण पर होने वाला खर्च भी भारत ही उठाता है. आंकड़ों के मुताबिक, मालदीव की सेना का 70 फीसदी प्रशिक्षण भारत कराता है. ये ट्रेनिंग इंडियन मिलिट्री एकेडमी में दी जाती है. इसके अलावा आइलैंड पर होने वाले प्रशिक्षण का खर्च भी भारत ही उठाता है. साफ है कि अगर भारत हाथ खींच ले तो मालदीव की सेना के प्रशिक्षण पर बहुत बुरा असर पड़ेगा और मौका पाते ही उसके दुश्‍मन उसका खात्‍मा कर देंगे. भारत मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स को पिछले 10 साल से प्रशिक्षण दे रहा है.

मालदीव को भारत ने दिए फाइटर प्‍लेन, हेलिकॉप्‍टर्स

भारत ने मालदीव की सेना को समंदर पर निगरानी के लिए एयरक्राफ्ट, फाइटर प्‍लेन और हेलिकॉप्‍टर्स भी दिए हैं. इसके अलावा मालदीव की सेना को वर्टिकल लैंडिंग का प्रशिक्षण भी भारत ने ही दिया है. वहीं, भारत हिंद महासागर में निगरानी के लिए मालदीव में कोस्टर रडार सिस्टम लगाने की इच्‍छा भी जाहिर कर चुका है. इन तमाम कारणों से दबाव में आया मालदीव भारत के साथ राजनयिक स्‍तर पर बातचीत के जरिये मामला सुलझाने की कोशिशों में जुटा है. हालांकि, चीन ने हिंद महासागर पर नजर जमा रखी है. ड्रैगन मालदीव में निवेश के जरिेय अपना आधार बनाता जा रहा है. बता दें कि मालदीव हिंद महासागर में बसा देश है, जो भारत के वेस्ट कोस्ट से 300 नॉटिकल मील की दूरी पर ही बसा हुआ है.

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