बच्‍चे की आंख से झरने की तरफ बहते रहे आंसू, ‘बर्बादी’ के कगार पर खड़ा था जीवन, फिर भी न आई ‘एयरलाइन’ को तरस

एयरलाइन की गलती की वजह से अपना जीवन ‘बर्बाद’ होता देख एक नौजवान अपने आंखों के आंसू रोक न पाया. आंखों में आंसू लिए यह नौजवान कभी एयरलाइन के एक अधिकारी के पास तो कभी दूसरे अधिकारी के पास चक्‍कर लगाता रहा. लेकिन हर कोई रटाया जवाब देकर न केवल अपना मुंह फेर लेता, बल्कि यह जताने की कोशिश करता कि उस समय एयरपोर्ट पर उससे व्‍यस्‍त कोई दूसरा नहीं है. दरअसल, यह पूरा मामला मूल रूप से भोपाल के रहने वाले राज सानिध्‍य सिंह से जुड़ा है. राज सानिध्‍य सिंह मेडिकल फील्‍ड में अपना कैरियर बनाना चाहता है.

राज सानिध्‍य सिंह ने न्‍यूज18 से बातचीत में बताया कि उसने एयर इंडिया की भोपाल से मुंबई होते हुए हैदराबाद जाने वाली फ्लाइट AI-634 में टिकट बुक कराई थी. उसे हैदराबाद में होने वाले मेडिकल की परीक्षा में शामिल होना था. किताबों का वजन बहुत अधिक होने की वजह से उसने अपनी सभी किताबें चेक-इन बैगेज में रखी थी. भोपाल एयरपोर्ट पर अपना चेक-इन बैगेज एयरलाइन को सौंपने के बाद वह विमान में बोर्ड हो गया. जिसके बाद, उसकी फ्लाइट निर्धारित समय से कुछ देरी के बाद मुंबई एयरपोर्ट होते हुए हैदराबाद एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गई.

हैदराबाद एयरपोर्ट पहुंचने के बाद राज सानिध्‍य लंबे समय तक अपने बैगेज का इंतजार बैगेज बेल्‍ट के पास करता रहा, लेकिन उसका बैगेज नहीं आया. बैगेज बेल्‍ट के पास मौजूद एयरलाइंस के कुछ अधिकारियों से जब उसने पूछा तो उन्‍होंने राज सानिध्‍य को इंतजार करने के लिए कहा. अब समय के साथ राज सानिध्‍य का दिल बैठने लगा था, उसे न ही कुछ समझ आ रहा था और न ही उसे कोई जानकारी देने को तैयार था. राज सानिध्‍य को लगने लगा था कि जिस परीक्षा के लिए उसने पूरे साल तैयारी की है, वह परीक्षा सिर्फ एयरलाइन की लापरवाही की वजह से छूट जाएगी.

एयरपोर्ट के अधिकारियों ने मदद करने से किया इंकार

राज सानिध्‍य को जब कुछ समय में नहीं आया था तो उसने इसकी जानकारी फोन पर अपनी मां को दी. मां ने अपने बेटे को धैर्य रखने की सलाह देते हुए कहा – परेशान मत हो, वह कुछ करती हैं. इसके बाद, राज की मां ने भोपाल एयरपोर्ट पर कॉल किया, जहां से उन्‍हें बताया गया कि वे संबंधित एयरपोर्ट यानी हैदराबाद एयरपोर्ट पर संपर्क करे. भोपाल एयरपोर्ट इस मसले पर उनकी कोई मदद नहीं कर सकता है. इसके बाद, उन्‍होंने बड़ी मुश्किल से हैदराबाद एयरपोर्ट का नंबर खोज कर कॉल किया, जहां से उन्‍हें कहा गया कि इस मामले में सिर्फ एयरलाइंस की उनकी मदद कर सकती है.

वहीं, जब राज की मां ने एयर इंडिया के कॉल सेंटर में फोन किया तो फोन की घंटी बजती रही, लेकिन किसी ने उनका कॉल पिक नहीं किया. अब राज के साथ उनकी मां को भी यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार वह अपनी समस्‍या को लेकर जाएं तो जाएं किसके पास. उसके सामने अब सबसे बड़ी समस्‍या यही थी कि वह अपने बेटे की मदद कैसे करें. मेडिकल की किताबे इतनी सस्‍ती भी नहीं होतीं कि वह उन्‍हें परीक्षा से ठीक पहले दोबारा खरीदने की सलाह दे दें. एक बार वह किताब दोबारा खरीद भी ले तो उसको अपने नोट्स दोबारा कहां से मिलेगे.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *