जज साहब! बचा लीजिए…700 साल पहले बनी दरगाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका, हाईकोर्ट लगा चुकी लताड़

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें दिल्ली में महरौली के पास 13वीं सदी की आशिक अल्लाह दरगाह (1317 ई.) और बाबा फरीद की चिल्लागाह सहित सदियों पुरानी धार्मिक संरचनाओं की सुरक्षा के निर्देश देने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित 8 फरवरी के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें संरचनाओं की सुरक्षा के लिए विशिष्ट निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया गया था.

हाईकोर्ट ने अधिकारियों द्वारा दिए गए बयान को दर्ज करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया था कि केंद्रीय या राज्य प्राधिकरण द्वारा घोषित किसी भी संरक्षित स्मारक या राष्ट्रीय स्मारक को ध्वस्त नहीं किया जाएगा. महरौली इलाके में स्थित आशिक अल्‍लाह दरगाह को लेकर दिल्‍ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें इस प्राचीन ढांचे को गिराने से बचाने का आग्र‍ह किया गया. दिल्‍ली हाईकोर्ट ने इस पर सख्‍त टिप्‍पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि हमारे देश में पीर, दरगाह, मंदिर बहुत हो गए हैं. संरक्षित स्‍मारकों को छोड़कर वन क्षेत्र या वन भूमि पर किसी भी तरह के निर्माण को अनुमति नहीं दी जा सकती है.

वन क्षेत्रों में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती:HC

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जंगल ‘दिल्ली के हरित फेफड़े’ हैं. ये प्रदूषण से एकमात्र रक्षक भी हैं. इसलिए उन्हें बहाल किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने धार्मिक संरचनाओं के नाम पर अतिक्रमण समेत अनधिकृत निर्माण पर चिंता जताते हुए यह बात कही थी. हाईकोर्ट ने कहा कि लोग यहां सांस नहीं ले पा रहे हैं और प्रदूषण के कारण मर रहे हैं और किसी को भी वन क्षेत्रों में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है और उन्हें बेदखल करने की जरूरत है.

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