जरा बचकर! दुनिया भर में हो रहे ट्रैक्टर आंदोलनों पर है खुफिया एजेंसियों की नजर

पिछले हफ्ते, बेल्जियम में पुलिस बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-सवार प्रदर्शनकारियों को संभालने के लिए संघर्ष कर रही थी, जिन्होंने ब्रसल्ज़ की सड़कों पर धावा बोल दिया था, आगजनी की थी और यूरोपीय संसद के सामने एक मूर्ति को गिरा दिया था। दंगा-रोधी उपकरण पहने पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कंटीली तारों और वॉटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा। ऐसे में अथॉरिटीज ने टेलि-वर्किंग का सुझाव दिया था।

यह सिर्फ ब्रसल्ज़ या दिल्ली और पड़ोसी राज्य नहीं हैं, जहां ट्रैक्टर पर सवार प्रदर्शनकारी लॉ एन्फोर्समेंट अथॉरिटीज या सरकार के लिए चिंता का कारण बन गए हैं। मौजूदा समय में इटली, लातविया, नीदरलैंड्स, स्पेन, जर्मनी, बेल्जियम, पोलैंड, रोमानिया और ग्रीस में विरोध प्रदर्शनों में ट्रैक्टरों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे यूरोपीय संघ में भी चुनावी साल में संतुलन बिगड़ता दिखाई दे रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय खुफिया एजेंसियां दुनिया भर में हो रहे इन आंदोलनों पर कड़ी नजर रख रही हैं। इन विरोध प्रदर्शनों से सामने आ रहे पैटर्न को देखा-समझा जा रहा है। इनके आधार पर पुलिस को उनसे निपटने के तरीके सुझाए जा रहे हैं। इस बारे में रिपोर्ट तैयार की जा रही है और संबंधित अधिकारियों के साथ शेयर की जा रही है। ऐसा लगता है कि दुनिया के दूसरे देशों में हो रहे विरोध-प्रदर्शनों का अध्ययन सिर्फ हमारी एजेंसियां ही नहीं कर रहीं, बल्कि विरोध करने वाले ग्रुप भी तमाम देशों में हो रहे आंदोलनों से संकेत ले रहे हैं।

पश्चिमी देशों के कई विरोध प्रदर्शनों में, लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियों द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स और बोल्डर को हटाने के लिए मॉडिफाइड ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया गया था। पंजाब के किसानों के प्रोटेस्ट में भी मॉडिफाइ किए हुए ट्रैक्टरों की कई तस्वीरें सामने आई हैं। यही नहीं, उन देशों के ट्रैक्टर आंदोलनों से प्रेरित होकर कई ने टायर प्रोटेक्टर भी लगवाए हैं।

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