जानिए निर्जला एकादशी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि का महत्व…

हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है, और इसे सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, दान, और पुण्य व्रत करने की परंपरा है। हर साल में 12 महीनों में एकादशी आती है, लेकिन देश में निर्जला एकादशी व्रत को बहुत महत्व दिया जाता है। निर्जला एकादशी व्रत शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग निर्जल उपवास रखते हैं, इसीलिए इसे निर्जला एकादशी व्रत कहा जाता है।

सभी एकादशी व्रतों में सबसे कठिन और पुण्यकारी व्रत निर्जला एकादशी व्रत होता है। हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मान्यता है कि भगवान विष्णु को निर्जला एकादशी व्रत सबसे प्रिय होता है। इसलिए हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है, और इसे सभी लोग मान्यता से करते हैं।

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं और पारिवारिक जीवन में भी सुख, समृद्धि और संपन्नता की प्राप्ति होती है।

निर्जला एकादशी व्रत का आगामी वर्ष में आने वाला है, जो इस साल [वर्ष] के [तिथि] को आयोजित होगा। यह व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। निर्जला एकादशी व्रत में अन्न एवं जल का त्याग किया जाता है, इसलिए इसे ‘निर्जला’ (अनाहार) एकादशी कहा जाता है। यह व्रत अत्यंत शुभ माना जाता है और इसका पालन करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। पूजा विधि में निर्जला एकादशी को उचित मंत्रों और आराधना के साथ मनाया जाता है। व्रत के दिन भगवान विष्णु का पूजन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है और इससे मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्राप्ति होती है।

निर्जला एकादशी व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी व्रत का वास्तविक महत्व अत्यंत गहनता से है। इसलिए जब आप साल भर में किसी भी एकादशी का व्रत नहीं करते हैं और फिर निर्जला एकादशी का व्रत आप अवश्य करते हैं, तो इसका अर्थ होता है कि आपको सभी एकादशी व्रतों के पुण्य का फल प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं। एकादशी व्रत के दिन आपको अन्न और जल का त्याग करना पड़ता है। इस व्रत को “निर्जल” कहा जाता है, क्योंकि इसमें पूर्णतया भोजन और पान का त्याग किया जाता है। पद्म पुराण में इस व्रत को करने से व्यक्ति की दीर्घायु होती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।

निर्जला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त

निर्जला एकादशी व्रत 2023 में 30 मई को मंगलवार के दिन दोपहर 1:00 बजे से शुरू होगा। इस व्रत का समापन 31 मई को 1:45 पर हो जाएगा। इसलिए नियमों के अनुसार एकादशी व्रत 31 मई को किया जाएगा। व्रत का पारण 1 जून को सुबह 5:23 से 8:09 तक किया जाएगा। इस तिथि को निर्जला एकादशी व्रत मनाया जाएगा।

निर्जला एकादशी व्रत की सही पूजा विधि

निर्जला एकादशी व्रत के दिन आपको सुबह जल्दी उठना है और फिर स्नान करना है। स्नान करने के बाद आपको भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए निर्जला एकादशी व्रत करने का संकल्प लेना है। इसके बाद आपको पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना होगा। फिर लकड़ी की एक चौकी पर लाल पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर को स्थापित करें।

भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र बहुत प्रिय होते हैं, इसलिए आप यदि संभव हो तो पीले रंग का वस्त्र समर्पित करें। अगर ऐसा नहीं है, तो आप कोई पीले रंग का कपड़ा रख सकते हैं। इस कपड़े को आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पूजा-पाठ के बाद दान में दे सकते हैं। भगवान विष्णु की पूजा में पीले रंग, पीले फूल और पीले फल ही चढ़ाएं, विधि-विधान के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत की पूजा करने के बाद इसकी कथा भी सुनें। उसके बाद मीठे का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में बांटें।

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