छोटी सी चींटियों की नई प्रजाति का बड़ा असर, शेरों ने बदले शिकार के तरीके, वैज्ञानिक परेशान!

कहते हैं एक छोटी सी चींटी हाथी जैसे बड़े जानवर को पागल कर सकती है. छोटे से वायरस कोरोना ने भी इंसानों की दुनिया को हिला कर रख दिया था. एक नई स्टडी में पता चला है कि एक आक्रामक प्रजाति पूरे के पूरे इको सिस्टम को बदल रही है जिससे शेरों की जिंदगी तक में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. जो शेर पहले जेबरा का आसानी से शिकार कर लिया करते थे. अब उन्हें ऐसा करने में दिक्कत हो रही है. इसलिए उन्होंने अपने शिकार का तरीका बदल दिया है.

यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरीडा के प्रोफेसर टेड पाल्मर की अगुआई में हुए अध्ययन में पाया गया है कि बड़े मुंह वाली चींटी अफ्रीका के शेरों के शिकार करने वाले तरीकों में बदलाव ला रही है. अध्ययन में ऐसा खास तौर से जेबरा जैसे जानवर के शिकार के मामले में पाया गया है.

तीन दशकों से ज्यादा समय के शोध में टीम ने केनिया केओल पजीटा नेचर कन्जर्वेंसी में छिपे हुए कैमरा, शेरों की सैटेलाइट ट्रैकिंग और मॉडलिंग का उपयोग किया और चीटियां, पेड़ों, हाथियों, शेरों, जेबरा, और भैंसों के बीच के जटिल संबंधों पर रोशनी डाली. इस इलाके में अब तक अकासिया पेड़ों की पत्तियां खाने वाले जानवरों से रक्षा करने का काम यहां की चीटियों के घोंसले करते थे. इन चीटियों की वजह से हाथी और जिराफ जैसे जानवर इन पेड़ों को नहीं खा पाते हैं.

लेकिन नई बड़े मुंह वाली चीटियों के आने से यहां के इकोसिस्टम में बदलाव आने शुरू हो गए. ये आक्रमणकारी चींटियां अकासिया पड़ों को बड़े पत्तियां खाने वाले जानवरों से नहीं बचाती हैं. इससे इन पेड़ों की संख्या कम हुई और पेड़ों की संख्या उतनी अधिक नहीं रह गई है. घने पेड़ों की कमी होने से शेरों को अपने पसंदीदा शिकार जेबरा को पकड़ने में अब परेशानी होने लगी है क्योंकि अब वे छिप कर शिकार नहीं कर सकते हैं.

ये बड़े मुंह वाली चींटियां 15 साल पहले ही यहां पनपी हैं. लेकिन इनकी मौजूदगी ने यहां के इकोसिस्टम पर गहरा असर डाला है. अब हालत ये हो गई है कि शेरों ने भी शिकार की रणनीति बदल दी है और अब वे भैंसों का शिकार करने लगे हैं. अब शोधकर्ता बड़े मुंह वाली चींटियों से यहां के पेडों को बचाने के उपाय खोजने पर काम कर रहे हैं जिससे जल्दी ही यहां के इकोसिस्टम में संतुलन वापस आ सके. इनमें बड़े जानवरों के एक बड़े बाड़े में सीमित करना शामिल है.

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