रांची के बिरसा जू में खुशखबरी, 6 मेहमानों का हुआ आगमन, ये 6 PHOTOS देखकर आप क्या कहेंगे?

दरअसल ठंड के महीने में ही शुतुरमुर्गों का प्रजनन होता है. इसमें सबसे खासियत की बात यह है कि हर मादा शुतुरमुर्ग एक दिन छोड़कर एक अंडा देती है. एक महीने के अंदर 10 से 12 अंडे देने के बाद मादा शुतुरमुर्ग अंडों को सेंकना शुरू करती है. शुतुरमुर्ग के इन बच्चों के जन्म से बिरसा जू में उत्साह का माहौल है.

बिरसा जू के चिकित्सक डॉ ओम प्रकाश साहू ने बताया कि शुतुरमुर्ग के अंडे को फूटने में लगभग 50-60 दिन लगते हैं. शुतुरमुर्ग का प्रजनन का समय ठंड का मौसम होता है. हर शुतुरमुर्ग एक दिन छोड़कर एक अंडा देती है. एक महीने अन्दर 10-12 अंडे देने के बाद शुतुरमुर्ग अंडे को सेंकना शुरू करती है। नर और मादा शुतुरमुर्ग बारी-बारी से अंडे को सेकते हैं.

बिरसा जैविक उद्यान के निदेशक जब्बार सिंह ने बताया कि 5 सालों के बाद शुतुरमुर्ग के बच्चों का जन्म हुआ है. चूंकि शुतुरमुर्ग ठंड के मौसम में अंडे देते थे और बेमौसम बारिश के कारण शुतुरमुर्ग एक महीने तक अंडे सेंकने के बाद अंडे को छोड़ देते थे ।

लेकिन, इस बार अक्टूबर महीने में ही अंडे देना शुरू हो गया था और नवंबर माह के शुरुआत में ही शुतुरमुर्ग ने अंडे को सेंकना शुरू कर दिया गया था और 50 दिन के बाद 6 शुतुरमुर्ग के बच्चे अंडे से बाहर निकले.

शुतुरमुर्ग के बच्चों के प्रबंधन की सफलता में पशु चिकित्सक डॉ ओम प्रकाश साहू, वन क्षेत्र पदाधिकारी राम बाबू कुमार, जीव वैज्ञानिक विवेकानंद कुमार, पार्थ सारथी मंडल, वनरक्षी राकेश अवस्थी, ललन कुमार और पशुपालक भोला कुमार का अहम योगदान रहा.

बिरसा जू में 5 सालों के बाद पहली बार शुतुरमुर्ग के छह बच्चों का जन्म हुआ है. दरअसल अक्टूबर माह में ही शुतुरमुर्गों ने अंडे देना शुरू कर दिया था. नवंबर में शुतुरमुर्ग ने अंडों को सेंकना शुरू किया था, जिससे 50 दिन बाद 6 बच्चे अंडे से बाहर निकल आए हैं.

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