Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने PF और ग्रैच्युटी को लेकर बदला हाईकोर्ट का फैसला, बताए कर्मचारियों के अधिकार

 सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा है कि कोई भी बैंक अपने किसी भी कर्मचारी के रिटायर होने पर उसका भविष्य निधि (PF) और ग्रैच्युटी नहीं रोक सकता है।

पंजाब नेशनल बैंक के एक रिटायर्ड कर्मचारी (अपीलकर्ता) के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारी को भविष्य निधि और ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

इसके साथ ही अदालत ने कहा कि पंजाब नेशनल बैंक (अधिकारी) सेवा विनियम, 1979 के अनुसार, बैंक पीएफ राशि तभी रोक सकता है, जब यह साबित हो जाए कि किसी कर्मचारी के कृत्य से बैंक को कोई नुकसान हुआ है।

इस मामले में बैंक न केवल कथित नुकसान को साबित करने में विफल रहा, बल्कि कर्मचारी को निष्पक्ष सुनवाई से भी वंचित कर दिया गया था।

अदालत ने फैसले में कहा है कि बैंक के निदेशक मंडल ने भविष्य निधि योगदान के विनियोग के प्रस्ताव को पारित करने से पहले, बैंक को नुकसान या क्षति पहुंचाने के मुद्दे पर अपीलकर्ता को कोई अवसर नहीं दिया है।

कोर्ट ने ग्रेच्युटी भुगतान के मुद्दे पर 1979 के ग्रेच्युटी अधिनियम और विनियमों के प्रावधानों पर विचार किया और आगे वाईके सिंघला पंजाब नेशनल बैंक (2013) 3 SCC 472 के फैसले पर भरोसा किया,  जिसमें कहा गया है कि ग्रेच्युटी अधिनियम सभी नियमों पर हावी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने बताया कि बैंक के परिपत्र में केवल बर्खास्तगी के मामले में ही ग्रेच्युटी से इनकार करने का प्रावधान है न कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के समय इसका भुगतान न कर दंड का प्रावधान है।

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई कर रही थी,जिसने पीएनबी से अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त अपीलकर्ता को पीएफ और ग्रेच्युटी देने से इनकार कर दिया था।

वर्तमान मामले में, 2010 में अनुशासनात्मक प्राधिकारी द्वारा दोषी पाए जाने के बाद अपीलकर्ता को पंजाब नेशनल बैंक के वरिष्ठ प्रबंधक के पद से अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था।

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