शादी का शौकीन वकील एक और शादी के लिए ‘अज्ञात’ लाश पर ऐसा खेला पुलिस चकरा गई

कभी आपने सोचा है कि पुलिस को जब एक अज्ञात लाश मिलती है तो उसका क्या होता है? इसका एक प्रोटोकॉल है. और प्रोटोकॉल में एक अहम पड़ाव है मॉर्चरी. हम आपको उत्तर प्रदेश के इटावा शहर के एक मॉर्चरी का किस्सा सुनाने वाले हैं.

एक लाश मिलती है. ट्रेन की जद में आए शख्स की बॉडी. पूरी तरह से क्षत-विक्षत. पहचान ना हो सके. मुश्किल ये कि जहां एक्सिडेंट हुआ वहां आसपास मौजूद लोग उसको पहचानते तक नहीं. पुलिस करती भी क्या. प्रोटोकॉल तय था पहले से. लाश को मॉर्चरी में ले जाएंगे और 72 घंटे इंतजार करेंगे. क्या पता किसी गुमशुदा का परिवार खोजने के लिए वहां तक आ जाए.

लेकिन पुलिस के लिए चीजें उस वक्त आसान हो गईं जब करीब दो दिन बाद एक परिवार आता है. तीन-चार लोग होंगे. अपने साथ अतुल कुमार नाम के एक शख्स का आईकार्ड लिए. खुद को अतुल का पिता और भाई और जान पहचान वाला बताते हैं. पुलिस को लगता है कि चलो लाश की पहचान हो गई. कुछ कागजी कार्रवाई के बाद लाश परिवार वालों को सौंप दी जाती है, संभवतः बिना किसी पूछताछ के. और शक की कोई वजह भी नहीं थी. भई! यहां लोग जिंदा शख्स को पहचानने को तैयार नहीं हैं और ये फिर भी लाश थी. लेकिन यहां से स्टोरी में आता है ट्विस्ट.

एक दिन बाद की बात है. फिर कुछ और लोग पहुंचते हैं मॉर्चरी. खुद को यूपी के ओरैया का बताते हैं और उसी लाश पर अपना दावा करते हैं जिसे ‘अतुल कुमार’ बता कर एक परिवार पहले ही ले जा चुका है. इस परिवार का दावा है कि ये लाश उनके परिवार के सदस्य सत्यवीर राजपूत की है जिसकी उम्र 40 साल की है. ये दूसरे घरवाले आगे बताते हैं कि सत्यवीर राजपूत दिमागी तौर पर परेशान था और उसका इलाज चल रहा था. और कुछ दिन पहले ही इटावा की ओर आया था. पुलिस पूरी तरह से शॉक्ड.

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अब पुलिस अपने उस काम में जुट जाती है जो उसे पहले ही करना चाहिए था. सही समझे… छानबीन. पुलिस के सामने थे दो किस्से. और सबूत के तौर पर कुछ कागजात. जांच होती है तो पता चलता है कि खुद को अतुल कुमार का रिश्तेदार बताने वाले लोगों द्वारा सौंपे गए कागजात और आईकार्ड फर्जी हैं. यानी लाश सत्यवीर राजपूत की है यह लगभग कंफर्म. और पुलिस के सामने धोखे से एक डेड बॉडी ले जाने का मामला था. अब पुलिस इस बात को लेकर सकते में थी कि जो लोग लाश ले गए उन तक पहुंचे कैसे. यहां मदद मिली CCTV कैमरे से.

हुआ यूं कि एक CCTV कैमरे में वो चोर लोग कैद हो गए जो कथित अतुल कुमार के कथित रिश्तेदार थे. अब इन तस्वीरों के आधार पर जांच शुरू हुई. चार में से तीन की पहचान पुलिस नहीं कर पा रही थी. सफलता जाकर चौथे में मिली. पता चला कि ये इटावा का एक वकील है. नाम हेतराम मित्तल. इस पूरे कांड का सूत्रधार. अब जाकर पुलिस ने अपना काम खूब किया. जाकर धर दबोचा हेतराम को. उसने फिर बताया कि उसका साथ देने वाले तीन और लोग फारुक, तसलीक और फुरकान थे.

यहां तक स्टोरी से ये तो साफ हो गया कि लाश की पहचान हो गई थी. लेकिन एक अहम सवाल अब भी बरकरार था. कोई लाश क्यों ले जाएगा. इस सवाल का जवाब जानने के लिए एक और किरदार से आपका रूबरू होना ज़रूरी है. मुस्कान कोस्टा. वकील हेतराम और मुस्कान कोस्टा प्यार करते थे. और शादी करना चाहते थे. दिक्कत सिर्फ ये थे कि मुस्कान के परिवार वालों को ये रिश्ता मंजूर नहीं था. और वजह थी कि हेतराम मित्तल का पहले से शादीशुदा होना.

इसलिए हेतराम ने एक प्लान बनाया. कथित अतुल कुमार को मुस्कान का पति बताकर एक मर्डर मिस्ट्री की कहानी बनानी थी. अतुल की मौत को संदिग्ध बताया जाता और शक की जद में मुस्कान के परिवार वालों को लाया जाता. ऐसा करने का सिर्फ एक मकसद था. उसकी और मुस्कान की शादी का रास्ता साफ हो जाए. अब जांच ने तेजी पकड़ी तो हेतराम से जुड़े कई और पत्ते खुले. हेतराम की एक नहीं पहले से तीन शादियां हो चुकी हैं. और मुस्कान के परिवार वालों ने उस पर नाबालिग लड़की को भगाने का केस पहले से दर्ज करा रखा था. बड़े वाले वकील निकले हेतराम.

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