आजादी के समय ये शख्स था भारत का सबसे अमीर आदमी, घर में बिखरे रहते थे हीरे-मोती; अब कोई ‘नामलेवा’ नहीं

आजादी के वक्त यानी साल 1947 में हैदराबाद के निजाम नवाब मीर उस्मान अली खान न सिर्फ भारत के बल्कि की दुनिया के सबसे अमीर शख्स माने जाते थे. 77 साल पहले निजाम की कुल दौलत करीब 17.5 लाख करोड़ रुपए आंकी गई थी. मशहूर इतिहासकार डॉमिनिक लापियर और लेरी कॉलिंस अपनी चर्चित किताब ‘फ्रीडम एड मिडनाइट’ में लिखते हैं कि हैदराबाद के निजाम के पास आजादी के वक्त 20 लाख पाउंड से ज्यादा की तो नगद रकम रही होगी. निजाम के महल में बंडल के बंडल नोट अखबार में लपेटकर में दुछत्ती में रखे रहते थे.

पेपरवेट की तरह यूज करते थे ‘जैकब’ हीरामशहूर टाइम मैगजीन ने फरवरी, 1937 के अंक में निजाम को फ्रंट पेज पर जगह देते हुए उन्हें दुनिया का सबसे रईस शख़्स करार दिया था. निजाम के महल में लाखों रुपए जहां-तहां धूल फांकते थे. हर साल कई हजार पाउंड के नोट तो चूहे कुतर जाते थे, जिनका कोई हिसाब ही नहीं. कॉलिंस और लापियर लिखते हैं कि निजाम के महल में उनकी मेज की दराज में मशहूर ‘जैकब’ हीरा रखा रहता था.

यह बेशकीमती हीरा नींबू के बराबर था और 280 कैरेट का था, लेकिन निजाम इस हीरे को पेपर वेट की तरह इस्तेमाल किया करते थे.

महल में बिखरे रहते थे हीरे-मोतीकॉलिंस और लापियर अपनी किताब में लिखते हैं कि निजाम के बाग में जहां-तहां झाड़ झंखाड़ के बीच सोने की ईंट से लदे ट्रक खड़े रहते थे. आलम यह था कि महल में हीरे-जवाहरात रखने की जगह नहीं बची थी. नीलम, पुखराज, हीरे, मोती फर्श पर कोयले की तरह बिखरे पड़े रहते. उस वक्त निजाम हैदराबाद के पास इतने मोती थे कि लंदन के पिकैडिली सर्कस के सारे फुटपाथ उन मोतियों से ढंक जाते.

कंजूसी के लिए बदनाम

निजाम हैदराबाद मीर उस्मान अली (Mir Osman Ali Khan) जितने अमीर थे, उतने ही अपनी कंजूसी के लिए बदनाम थे. ”फ्रीडम एट मिडनाइट” के मुताबिक निजाम के पास सोने के इतने बर्तन थे कि एक साथ 200 लोगों को उनमें खाना खिला सकें, लेकिन उनकी कंजूसी का आलम यह था कि खुद टीन के बर्तन में खाना खाया करते थे. अक्सर एक ही मैला-कुचैला सूती पायजामा पहना करते थे और पैर में बहुत घटिया किस्म की जूती होती थी.

बुझी सिगरेट तक नहीं छोड़ते थे

निजाम की कंजूसी का आलम यह था कि उनसे जो मिलने आता और ऐशट्रे में बुझी सिगरेट छोड़ जाता, निजाम बाद में उसे सुलगा कर पीने लगते. इतिहासकारों के मुताबिक उस वक्त परंपरा थी कि बड़े-बड़े अमीर-उमरा और जमींदार अपने राजा को एक अशर्फी का नजराना पेश करते थे. बाद में राजा उस अशर्फी को छूकर लौटा दिया करते थे, लेकिन निजाम हैदराबाद इससे उलट थे. निजाम को कोई नजराने के तौर पर अशर्फी देता तो उसको झपटकर अपने पास रख लिया करते थे.

निजाम (Mir Osman Ali Khan) का बेडरूम किसी झोपड़पट्टी के कमरे जैसा दिखाई देता था. उसमें एक टूटी-फूटी सी पलंग पड़ी रहती थी. तीन कुर्सी और गिने-चुने फर्नीचर के अलावा कुछ नहीं था. जगह-जगह मकड़ी के जाल लगे रहते थे और बदबू आती थी. निजाम के कमरे को उनके सालगिरह के दिन सिर्फ साल में एक बार साफ किया जाता था.

अंग्रेजों को दिया 2.5 करोड़ पाउंड

आजादी के वक्त निजाम हैदराबाद (Nizam Hyderabad Mir Osman Ali Khan) हिंदुस्तान के इकलौते ऐसे शासक थे जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने ”एग्जॉल्टेड हाईनेस” का खिताब दिया था. अंग्रेजों ने निजाम को यह खिताब इसलिए दिया था, क्योंकि उन्होंने पहले विश्व युद्ध यानी फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में ब्रिटिश हुकूमत के युद्ध कोष में ढाई करोड़ पाउंड की रकम दी थी. हैदराबाद निजाम मीर उस्मान अली उन दिनों ब्रिटिश हुकूमत के सबसे निष्ठावान मित्र माने जाते थे.

अफीम की लत थी, हमेशा एक डर सताता था

निजाम हैदराबाद को अक्सर डर सताता था कि कोई उन्हें जहर देकर मार देगा और उनकी दौलत कब्जा लेगा. सवा पांच फीट लंबे निजाम हमेशा सुपारी चबाया करते थे और उनके दांत लगभग सड़ चुके थे.

कॉलिंस और लापियर लिखते हैं कि निजाम जहां कहीं जाते, अपने साथ एक खाना चखने वाला लेकर जाते थे. पहले वह खाना चखता, इसके बाद ही निजाम उसे हाथ लगाते.

निजाम की डाइट फिक्स थी. इसमें मलाई, मिठाई, फल, सुपारी और अफीम शामिल थी. निजाम, अफीस के लती थे और हर दिन एक प्याली अफीम पिए बगैर उन्हें नींद नहीं आती थी.

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