ट्रेन अपनी मंजिल पर 7 दिन में, 16 नदी व 86 शहर को पार करके पहुंचती है, ये है दुनिया का सबसे लंबा रेलवे सफर

Longest railway

दुनिया में सबसे अधिक लोगों को पसंद आने वाले यातायात के साधन में से ट्रेन का सफर सबसे ज्यादा अच्छा लगता है। आपको बता दें कि आप किसी भी लंबे सफर को आसानी से ट्रेन से पूरा कर सकते हैं। अक्सर लोग लंबी यात्रा के लिए ट्रेन का ही प्रयोग करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे लंबा सफर ट्रेन का कहां होता है और कितने दिन के लिए होता है। जहां पर अपनी मंजिल मैं अगर आदमी पहुंचना चाहे तो कितने समय में पहुंचा जा सकता है।

 आज हम आपको ऐसे ही एक रेलवे सफर के बारे में बताने जा रहे हैं। यदि आप सोच रहे हैं कि यह रेलवे यात्रा मात्र 2 या 4 दिन में पूरी हो जाएगी तो आपका सोचना बिल्कुल गलत है। क्योंकि दुनिया की सबसे लंबी रेल यात्रा है। जो पूरा होने में 7 दिन 20 घंटे 25 मिनट का समय लगाती है। आइए जानते हैं कि दुनिया का सबसे लंबा रेलवे सफर कौन सा है।

रूस के मास्को शहर से नॉर्थ कोरिया के प्योंगयांग शहर के बीच चलने वाली ट्रेन का सबसे लंबा सफर होता है आपको बता दें कि रूस के मास्को से उतरी कोरिया के प्योंगयांग शहर तक ट्रांस साइबेरियन ट्रेन 10214 किलोमीटर का सफर पूरा करती है इस ट्रेन को अपना सफर पूरा करने के लिए और अपनी मंजिल पर पहुंचने हेतु 16 प्रमुख नदी और 86 शहरों का सहारा लेना पड़ता है जिनमें से यात्री को प्रकृति की खूबसूरत नजारे देखने का भी मौका मिलता है।

ट्रांस साइबेरियन ए रेलवे की शुरुआत सन 1916 में की थी। ये रेल मॉस्को से रूस के व्लादिवोस्तोक तक रेलवे से सफर करवाता है। आपको बता दें कि दुनिया का सबसे खूबसूरत रेलवे का यह सफर बहुत ही अद्भुत और अलौकिक होता है और यह सबसे लंबा रेलवे सफर भी इस सफर में ट्रेन नदी शहर के साथ-साथ खूबसूरत पहाड़ों प्रकृति की सुंदरता का भव्य नजारा देखते हुए जंगलों से गुजरती है।

प्योंगयांग से शुरू होता है ये सफर

रेलवे के सफर की शुरूआत नॉर्थ कोरिया के रूस के मास्को से आने वाले यात्रियों को रूस के ही व्लादिवोस्तोक तक ले जाने का काम करती है। वहीं दूसरी तरफ यह ट्रेन व्लादिवोस्तोक से मास्को जाने वाली ट्रेन के पीछे जोड़ दी जाती है। नॉर्थ कोरिया से यह ट्रेन केवल महीने में दो बार सफर करती है।

इस ट्रेन की खास बात यह है कि ट्रेन कार में एक बार बैठने के बाद में किसी भी यात्री को लास्ट स्टेशन तक अपना कोच भी बदलने की जरूरत नहीं पड़ती है। रूस से लेकर प्योंगयांग तक महीने में चार ट्रेन चलाई जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह ट्रेन प्योंगयांग तक सीधी नहीं बल्कि प्योगयांग जाने वाले ट्रेन के डिब्बों को नॉर्थ कोरिया के तुमान गेन स्टेशन तक साथ में लेकर जाती है। इस ट्रेन के बाकी के डिब्बे पीछे जोड़ देती हैं। वह सभी यात्रियों को उनके अंतिम सफर प्योंगयांग तक ले जाते हैं।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *