अपहरण और ख़तरनाक सफर: जान जोखिम में डालकर ये लोग कैसे जा रहे अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दक्षिण अमेरिकी सीमा से प्रवासियों का आना एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन जिसके बारे में बहुत कम जानकारी है वो है पूरे मेक्सिको में फैले हुए ड्रग कार्टेल.
ये लोगों की ख़तरनाक यात्रा को और ख़तरनाक बना देते हैं.
अपने स्ट्रिप क्लबों, टैको स्टैंड और सड़कों पर फर्राटा भरती मोटरबाइक्स के लिए मैक्सिको का सीमावर्ती इलाका सैन लुइस रियो कोलोराडो जाना जाता है.
यहां के एक आश्रय स्थल में एडुआर्डो एक आंगन में आराम करते दिखे.
ये आश्रय स्थल अमेरिकी राज्य एरिजोना को इस शहर से अलग करने वाली सीमा से ज़्यादा दूर नहीं है.
आश्रय स्थल के अंदर एक बड़ा लकड़ी का क्रॉस लटका हुआ है. एडुआर्डो को अपनी मेक्सिको यात्रा के दौरान ख़तरनाक चीजों का सामना करना पड़ा था.
अब इस जगह पर आकर वो इन अनुभवों से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.
एडुआर्डो को इक्वाडोर छोड़ना ही पड़ा
क़रीब 50 साल के एडुआर्डो इक्वाडोर में फास्ट-फूड रेस्टोरेंट चलाते थे. कभी शांतिपूर्ण माने जाने वाले इस देश में अब संगठित अपराध की जड़ें मजबूत हो गई हैं.
एडुआर्डो बताते हैं, ”कारोबारी होने की वजह से हमसे जबरन वसूली की जाती थी.”
उन्हें ‘टैक्स’ नहीं देने पर एक गैंग ने जान से मारने की धमकी दी थी. “हम क्या कर सकते थे? अपनी जान बचाने के लिए हमें वहां से आना पड़ा.”
एडुआर्डो कभी भी इक्वाडोर से जाना नहीं चाहते थे, लेकिन वो डरे हुए थे और फिर उन्होंने अमेरिका में शरण मांगने का फैसला लिया.
एडुआर्डो इकलौते ऐसे शख़्स नहीं हैं, उनकी कहानी सैकड़ों ऐसे लोगों की कहानी जैसी है जो दुनिया के अलग-अलग देशों में हैं और हिंसा के शिकार होने की वजह से अमेरिका में नई ज़िंदगी ढूंढने आते हैं.
साल 2023 में रिकॉर्ड संख्या में प्रवासियों के आने को देखते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने इमिग्रेशन की प्रक्रिया को सख़्त बनाने का प्रस्ताव रखा.
इसमें अत्यधिक भीड़ होने पर सीमा को बंद करने का प्रस्ताव भी शामिल था. बाइडन के प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अगर वो नवंबर में जीतकर आते हैं तो बड़े पैमाने पर लोगों को वापस भेजेंगे.
बेहद ख़तरनाक थी एडुआर्डो की ये यात्रा
अमेरिका में बड़े पैमाने पर प्रवासियों के आने पर जो बहस छिड़ती है, उसमें सबसे ज़्यादा चर्चा में जो बात रहती है वो है मेक्सिको में मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले संगठनों की भूमिका.
एडुआर्डो ने इक्वाडोर की राजधानी क्विटो से मेक्सिको सिटी तक फ्लाइट से अपनी यात्रा शुरू की. फिर वो अमेरिकी सीमा पर बसे सोनोइटा के लिए तीस घंटे की यात्रा पर बस में सवार हुए.
बस में प्रवासी और मेक्सिको के नागरिक भरे हुए थे. एडुआर्डो को जो बात बुरी लगी वो है कि इस यात्रा के दौरान उस इलाके से ले जाया गया जहां मेक्सिको के सबसे हिंसक ड्रग कार्टेल और उनके सहयोगियों का दबदबा था. ये गिरोह माइग्रेशन के धंधे पर भी हावी हैं.
पहली बार जब बस रुकी तो सुबह के करीब 6 बज रहे थे. नकाब पहने दस हथियारबंद लोग बस पर सवार हुए.
बस को पहाड़ों की तरफ ले जाया गया. उन लोगों ने सभी यात्रियों को कागजात दिखाने के लिए कहा.
जब उन लोगों ने ये जान लिया कि कौन-कौन से लोग प्रवासी हैं तो उनमें से हर एक से 1200 पेसो यानी क़रीब 90 यूएस डॉलर मांगे, नहीं तो हिरासत में लिए जाने की बात कही.
प्रवासियों ने पैसे जमा कर दिए लेकिन 200 पेसो कम पड़ रहे थे. उन हथियारबंद लोगों ने बस को जाने दिया और ऐसे में क़रीब 11 घंटे रुकने के बाद बस एक बार फिर यात्रा के लिए आगे बढ़ी.
सीमावर्ती शहर सैन लुइस रियो कोलोराडो जहां एडुआर्डो आश्रय स्थल में ठहरे हुए थे, वो भी प्रवासियों के अपहरण के लिए जाना जाता है.
पिछले साल मई में, इस शहर के एक दो मंजिला घर में लोगों के संदिग्ध तरीके से आने-जाने की जानकारी एक स्थानीय ने दी.
जब मेक्सिको की स्थानीय पुलिस ने वहां छापा मारा तो पांच लोग गिरफ़्तार किए गए और 100 से ज़्यादा प्रवासियों को छुड़ाया गया. इनमें से कुछ तो तीन हफ़्ते से वहां कैद थे.
छापेमारी में शामिल एक स्थानीय पुलिस अधिकारी टेरेसा फ़्लोरेस मुनोज़ बताती हैं, “उनके पास खाना-पानी नहीं था और उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया जा रहा था.”
वो बताती हैं कि उनमें एक भारतीय महिला भी थी. “वो अपने बच्चे को पकड़े हुए थी और रो रही थी. उस महिला ने अपने बच्चे को मुझे दे दिया और कहा कि मुझे बच्चे को ले जाना चाहिए क्योंकि वो उसे मारने जा रहे हैं. ये वास्तव में परेशान कर देने वाला था.”
जिन लोगों को रिहा कराया गया, उनमें बांग्लादेश, उज्बेकिस्तान, चीन, सेनेगल समेत 23 देशों के लोग थे.
स्थानीय ख़बरों के मुताबिक़, अपहरणकर्ताओं ने हर प्रवासी के लिए 2500 अमेरिकी डॉलर की मांग रखी थी, गर्भवती महिलाओं के लिए ये रकम दोगुनी थी. अगर प्रवासी इस रकम को चुका नहीं पाते थे तो ये गिरोह उनके रिश्तेदारों से इसकी मांग करता थे.
जबरन वसूली में सिर्फ़ पेशेवर अपराधी ही शामिल नहीं
जबरन वसूली करने वाले और बंधक बनाने वालों में सिर्फ़ पेशेवर अपराधी ही नहीं बल्कि कुछ कानून व्यवस्था बनाए रखने वाले लोग भी शामिल थे.
एडुआर्डो का कहना है कि जब उनकी बस मैक्सिकन राज्यों सिनालोआ और सोनोरा से होकर उत्तर की ओर बढ़ी तो 6 पुलिस चौकियों पर उन्हें रोका गया, जहां अधिकारियों ने प्रवासियों से पैसों की मांग की.
“अगर आपके पास कैश नहीं होता है तो वो आपको बुलाते हैं, वो कहते थे अपनी पतलून उतारो, कपड़े उतारो. आपको उन्हें सूटकेस जैसी चीज देनी पड़ती थी. अगर आपके पास पैसे नहीं होते तो आपका सामान ले लिया जाता था. इस तरह से मैंने अपने कुछ दस्तावेज खो दिए.”
प्रवासियों को निशाना बनाने के लिए बस रोकना कोई असामान्य बात नहीं है. सैन लुइस रियो कोलोराडो में हमने एक स्थानीय पत्रकार के साथ काम किया.
उसने हमें तस्वीरें भेजी जो गुप्त रूप से ली गई थीं. इन तस्वीरों में दिख रहा था कि कैसे बस को एक गैंग ने रोका था और उन लोगों के चेहरे ढके हुए थे.
पत्रकार ने कहा, “बस में हर कोई जानता था कि वो ड्रग और प्रवासियों की तस्करी करने वाले माफिया के हिटमैन थे.”
नकाबपोश लोगों ने सिर्फ़ उन लोगों से पूछताछ की, जो मेक्सिको के नहीं लग रहे थे, जो ख़राब कपड़ों में थे और उनके चेहरे पर डर झलक रहा था. बस से उतारे गए पांच या छह प्रवासियों से 50 अमेरिकी डॉलर वसूल किए गए.
उन लोगों के ट्रक के दरवाजे पर सोनोरा के स्टेट प्रॉसिक्यूटर से जुड़ी एक एजेंसी-एएमआईसी (एजेंसिया मिनिस्ट्रियल डी इंवेस्टिगेशियन्स क्रिमिनल्स) का लोगो देखा जा सकता था. हमारे सहयोगी पत्रकार को ये लोगो फर्ज़ी लग रहा था.
एडुआर्डो का सबसे ख़राब अनुभव
मेक्सिको सिटी की उत्तरी सीमा की यात्रा के दौरान एडुआर्डो का सबसे ख़राब अनुभव भी सोनोरा राज्य में हुआ.
एक बार फिर हथियारबंद लोगों ने बस को रोक लिया. कोलंबिया के दो परिवार, जिसमें पांच बच्चे भी शामिल थे, उनके पास पैसे नहीं थे. ऐसे में उन्हें बस से उतार लिया गया. हथियारबंद लोगों ने उन्हें ट्रक में डाल दिया और अपने साथ ले गए.
एडुआर्डो दुख में कहते हैं, “हमारे पास सभी को बचाने भर के पैसे नहीं थे.”
एडुआर्डो के पास अब पैसे नहीं बचे थे, उनकी 3 हज़ार अमेरिकी डॉलर की बचत खत्म हो गई थी.
मतलब ये था कि वो अब अमेरिका की सीमा को पार करने के लिए जो पैसे तस्कर लेते थे, अब वो नहीं ये पैसे नहीं दे सकते थे.
ऐसे में बस चालक ने एडुआर्डो से कहा कि अगर वो यहां रहते हैं तो उनका अपहरण हो सकता है और ऐसा कहकर एडुआर्डो को सैन लुइस रियो कोलोराडो में छोड़ दिया. जहां पर एडुआर्डो प्रवासी आश्रय स्थल में आकर रुके.
जिन प्रवासियों का अपहरण होता है या वो बंदूकधारियों को पैसे नहीं दे पाते और उन्हें बहुत कुछ झेलना पड़ता है. ऐसे ही टियुआना शहर हमेशा से अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले लोगों के लिए आकर्षक जगह रहा है.
हाल ही में शहर के पूर्व में स्थित पहाड़ियों में प्रवासियों के शव पाए गए हैं. उनके सिर में गोली मारकर हत्या की गई थी.
ऐसी अटकलें हैं कि इन लोगों ने उस इलाके को नियंत्रित करने वाले आपराधिक समूह को अमेरिका जाने के लिए भुगतान नहीं किया था, जिसके बाद उन्हें मार दिया गया.
सैन डिएगो स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. विक्टर क्लार्क अल्फारो कहते हैं, ”यह साफ है कि कार्टेल ने अपनी आर्थिक गतिविधियों में कई तरीकों को जोड़ा है, जिसमें जबरन वसूली, अपहरण और मानव तस्करी शामिल है.”
नशीली दवाओं की तस्करी
वह कहते हैं, ”मैं उन्हें ‘नार्को-कोयोट’ कहता हूं क्योंकि वे न केवल लोगों को पार कराते हैं, बल्कि वो अमेरिका में नशीली दवाएं भी भेजते हैं”
उन्होंने कहा कि प्रवासियों को अपने साथ नशीले पदार्थ को ले जाने के लिए मजबूर किया जाता है.
डॉक्टर क्लार्क कहते हैं, ”संगठित अपराधों में हिंसा की अहम भूमिका है. हिंसा का इस्तेमाल कार्टेल अपने इलाकों में दबदबे के लिए और बेगुनाह लोगों के ख़िलाफ़ करते हैं.”
वैध तरीके से अमेरिका में दाखिल हुए एडुआर्डो
सैन लुइस रियो कोलोराडो में एडुआर्डो ने कुछ समय तक आराम किया, बेहतर महसूस करने के बाद वहीं पर एक नौकरी हासिल की. लेकिन मेक्सिको की अपनी भयावह यात्रा के बाद अब एडुआर्डो अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने का जोख़िम उठाना नहीं चाहते थे.
उन्होंने सीबीपी वन नाम के एक अमेरिकी ऑनलाइन ऐप में रजिस्ट्रेशन कराया, ये ऐप यूएस पोर्ट ऑफ एंट्री के लिए अपॉइंटमेंट शेड्यूल कराती है.
अगर वो सुरक्षा जांच में पास होते हैं तो अमेरिका में उन्हें परोल दी जा सकती है.
बाइडन प्रशासन ने इन उपायों को कार्टेल के दबदबे को कम करने के लिए तैयार किया है.
इन दो चीजों की वजह से एडुआर्डो अमेरिका की तरफ जाने के लिए प्रेरित हुए .
पहला है उनका कैथोलिक विश्वास. दूसरा, इक्वाडोर से उनके दोस्त के बारे में आई अप्रिय खबर. एडुआर्डो के इस दोस्त के साथ भी अपराधी वसूली कर रहे थे.
एडुआर्डो चाहते थे कि वो दोनों एक साथ अमेरिका आएं, लेकिन उनका दोस्त अपने परिवार को नहीं छोड़ना चाहता था.
उसने एडुआर्डो से कहा था कि वो अपराधियों के साथ चीजें ठीक कर देगा, लेकिन वो ऐसा कर नहीं सका.
एडुआर्डो की आंखें भर आईं. वो कहते हैं, ”वो लोग मेरे दोस्त की दुकान पर गए, उन्होंने उसे मार दिया, अगर मैं इक्वाडोर में रुका होता…ऊपर वाले का शुक्रिया…मैंने बहुत कुछ झेला है, लेकिन मैं ज़िंदा हूं.”
एडुआर्डो इस साल मार्च में कानूनी रूप से अमेरिका में दाखिल हो गए.