बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी पर बाहर से निगरानी रखते थे खास गुर्गे, करोड़ों खर्च कर किए गए थे तैनात

उत्तर प्रदेश के बांदा जिला मुख्यालय में स्थित मंडल कारागार में माफिया मुख्तार अंसारी ने बंद रहते अपने गुर्गों की फौज तैयार कर ली थी। ये गुर्गे जेल के बाहर रहते हुए मुख्तार अंसारी की निगरानी करते थे। जेल में होने वाली गतिविधियों की जानकारी उनके परिजनों तक पहुंचाते थे। अभी बीमारी के दौरान भी जेल से लेकर मेडिकल कॉलेज तक इनके गुर्गे निगरानी करते नजर आए। पोस्टमार्टम के दौरान भी ये पोस्टमार्टम के आसपास चहलकदमी करते नजर आए। इन गुर्गों पर अब तक करीब 3.60 करोड़ खर्च किए जाने का अनुमान है।

साल 2016 से कर रहे थे पहरेदारी

साल 2016 में जब पहले मुख्तार अंसारी बांदा जेल लाया गया था, तब जेल में उनसे मिलाई के लिए बड़ी संख्या में रिश्तेदार के भेष में तमाम गुर्गे भी पहुंचते थे। गाजीपुर और बनारस के रहने वाले उनके खास गुर्गे बांदा शहर के रिश्तेदारों के यहां पनाह पाए थे। इसके बाद मुख्तार अंसारी को जब पंजाब जेल ले जाया गया, तब भी इनका संपर्क मुख्तार के परिवार से बना रहा। दोबारा साल 2021 में मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में एंट्री होती है लेकिन इस बार प्रशासन ने विशेष चौकसी बरतनी शुरू कर दी थी जिससे उनके गुर्गों को परेशानी होने लगी। इस बीच पुलिस ने इन गुर्गों की पहचान करनी शुरू कर दी तो पुलिस के भय से ये पहचान छुपाकर रहने लगे।

शहर के इन मोहल्लों में बनाया था ठिकाना

बांदा शहर के मर्दन नाका खाईपार और अलीगंज के अलावा जेल के इर्दगिर्द इन लोगों ने अपना ठिकाना बना लिया था। इसके अलावा कुछ गुर्गे बांदा के औगासी और फतेहपुर के गाजीपुर में अपना ठिकाना बनाए हुए थे। इनका नेटवर्क प्रयागराज और बनारस तक फैला था, जहां से इन्हें निर्देश मिलते थे। इन गुर्गों के अलावा जेल में कर्मचारी और कुछ अधिकारी इन्हें मुख्तार के बारे में सूचना देते थे। इसके बदले में उन पर मुख्तार का परिवार 10 लाख रुपए हर माह खर्च करता था। अब तक इन पर 3.60 करोड़ खर्च किए जाने का अनुमान है।

पुलिस ने कसा शिकंजा

सूत्र बताते हैं कि बांदा जेल में रहते मुख्तार संबंधी तमाम सूचनाएं लीक होने पर पुलिस ने इन गुर्गों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। खासकर बांदा जेल के आसपास घरों में उनकी तलाश शुरू की गई। इतना ही नहीं आसपास के मकान मालिकों को सख्त हिदायत दी गई कि बिना आधार कार्ड या पहचान के किसी को मकान न दे। साथ ही गैर जनपद के लोगों को मकान में किराए पर न रखा जाए। इस हिदायत के बाद इनके गुर्गों ने बांदा के करीब गांवों में अपना ठिकाना बनाया। यह वही गुर्गे है जो पल-पल की अपडेट मुख्तार के परिजनों तक पहुंचाने थे। यहां जो भी घटनाक्रम होता था उसकी जानकारी मीडिया को बाद में, परिजनों को पहले हो जाती थी।

चित्रकूट जेल में हुआ था खुलासा

बता दें कि मुख्तार परिवार की जेल के अंदर तक पहुंच का खुलासा चित्रकूट में तब हुआ जब विधायक अब्बास अंसारी और उनकी पत्नी निखत अंसारी की जेल में मुलाकातों का भांडा फूटा। इस मामले में जेल अधीक्षक चित्रकूट अशोक कुमार सागर, जेलर संतोष कुमार, वार्डन जगमोहन समेत 8 जेल कर्मियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत हुआ। साथ ही अब्बास अंसारी की पत्नी निखत, चालक नियाज, स्थानीय मास्टरमाइंड सपा जिला महासचिव फराज, कैंटीन के ठेकेदार नवीन सचान और डिप्टी जेलर चंद्रकला की गिरफ्तारी की गई थी।

मौत के बाद गुर्गों ने ठिकाना छोड़ा

इधर जब से मुख्तार अंसारी बीमार हुआ तब से उनके गुर्गों की सक्रियता बढ़ गई थी। जो पल-पल का अपडेट मुख्तार के परिजनों तक पहुंचा रहे थे। बीमारी के दौरान जेल से लेकर मेडिकल कॉलेज तक यह गुर्गे पहचान छुपा कर टोह लेते हुए नजर आए। पोस्टमार्टम के दौरान पोस्टमार्टम के आसपास भी यह शार्प शूटर गुर्गे टहलते हुए देखे गए हैं। मुख्तार का शव बांदा से रवाना होने के बाद यह गुर्गे भी बांदा व चित्रकूट के ठिकाने छोड़ चुके हैं।

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