गर्मियों की छुट्टियां मनाने के लिए छत्तीसगढ़ में ये जगह हैं बेस्ट, मिलेगा सर्दी का एहसास

वहीं हर साल पर्यटको की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग ने बस्तर में ट्राइबल होमस्टे के साथ ही सरकारी रिसॉर्ट भी तैयार किया है, जहां पर्यटकों के लिए ठहरने और खाने की पूरी व्यवस्था है, आइए जानते हैं बस्तर संभाग के ऐसे कौन से 10 मुख्य पर्यटन स्थल है जहां 12 महीनो ठंड का एहसास होता है.


 बस्तर जिला छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के मुकाबले घने जंगलों से घिरा हुआ है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में किसी तरह का कोई उद्योग, फैक्ट्री और पेड़ो की कटाई नहीं होने की वजह से ईन क्षेत्रों में कमोबेश छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों से काफी कम गर्मी पड़ती है, और यहां पर मौजूद पर्यटन स्थल भी घने जंगलों के बीच मौजूद होने से पूरे 12 महीनो यहां ठंड का एहसास होता है.

खासकर बस्तर का “तीरथगढ़ वॉटरफॉल” काफी प्रसिद्ध है और खासकर यहां समर डे में बड़ी संख्या में पर्यटकों की मौजूदगी रहती है ,यहां बने वुड के सरकारी रिजॉर्ट शिमला के रिसोर्ट से कम नहीं लगते, यही वजह है कि तीरथगढ़ में गर्मी के दिनों में भी ठंड का अहसास होता है, इसके अलावा बस्तानार में मौजूद “मिचनार” काफी प्रसिद्ध है.

ये पर्यटन स्थल ऊंची जगह पर होने के चलते यहां बस्तर से घने जंगलों की खूबसूरती और वादियां काफी खूबसूरत दिखाई देती है, वहीं यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए नाइट टैंट का भी इंतजाम किया गया है, शाम होते ही यहां ठंडी हवा चलने से पर्यटक इस जगह को फील करने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं.

इसके अलावा बस्तर जिले में ही मौजूद है “कांगेर वैली” का नेशनल पार्क यह पार्क पूरे घने जंगलों से घिरा हुआ है,इस नेशनल पार्क के अंदर मौजूद “कांगेर वाटरफॉल” का पानी 12 महीनों काफी ठंडा रहता है. जंगलों में बने रिसोर्ट और ट्राइबल होमस्टे और इस होमस्टे में बस्तर की संस्कृति, परंपरा, वेशभूषा और ट्रेडिशनल फूड मिलने से बस्तर पहुंचने वाले पर्यटकों की यह जगह पहली पसंद होती है.

नेशनल पार्क के संचालक ने राफ्ट राइडिंग की भी शुरुआत की है, घने जंगलों के बीच मौजूद एक झील से होकर गुजरती है,और यहां का वातावरण भी काफी शांत रहता है, साथ ही शाम होते ही यहां ठंड लगने लगती है, इसके अलावा दंतेवाड़ा का हांदावाड़ा वाटरफॉल जिसे बाहुबली का वाटरफॉल भी कहा जाता है.

वहीं दंतेवाड़ा जिले का “ढोलकल” काफी प्रसिद्ध है ,ढोलकाल की खासियत ये है कि यहां पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर तेरहवीं शताब्दी का भगवान गणेश का मूर्ति स्थापित है, घने जंगलों के बीच होकर ऊंची पहाड़ियां में चढ़कर पर्यटक यहां भगवान के दर्शन करते हैं ,आसपास हरी-भरी वादियां होने की वजह से इसके नीचे अब नाइट कैंपिंग की भी शुरुआत की गई है, जहां पर्यटकों को पूरी तरह से ट्रेडिशनल फूड परोसा जाता है, साथ ही सुबह, दोपहर हो या शाम यहां ऊंची जगह होने की वजह से ठंडी हवा चलती है, इस वजह से गर्मी की छुट्टियों में बड़ी संख्या में पर्यटक ढोलकल के पर्वत में भी घूमने आते हैं. इसके अलावा अन्य से पर्यटन स्थल है जो यहां पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है और खासकर गर्मी छुट्टी मनाने आते हैं.

बीजापुर में मौजूद “नीलम सरई वाटरफॉल” यह वाटरफॉल बस्तर संभाग के सबसे ऊंचे वाटरफॉल में शुमार है और यह भी घने जंगलों के बीच मौजूद है, चारों तरफ पहाड़ियों के बीच घना जंगल और यहां से कल-कल बहता नीलम सरई वाटरफॉल का पानी पर्यटकों का मन मोह लेता है, हालांकि अभी यहां पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था नहीं की गई है, लेकिन प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में जरूर नीलम सरई वाटरफाल को भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा.

कोंडागांव जिले के केशकाल में मौजूद “टाटामारी पर्यटन स्थल” भी छत्तीसगढ़ में काफी प्रसिद्ध है, टाटामारी पर्यटन स्थल साल के 12 महीने पर्यटकों से गुलजार रहता है, हिल स्टेशन होने की वजह से यहां पर्यटक खासकर गर्मी के मौसम में ज्यादा पहुंचते हैं, जिला प्रशासन के द्वारा बनाए गए सरकारी रिसॉर्ट वुड के कॉटेज और आसपास की हरी-भरी वादियां यहां के पर्यटकों को खूब भाती है, यहं वजह है कि टाटामारी पर्यटन स्थल को हाल ही में 5 करोड़ रुपये खर्च कर विकसित किया गया है, गर्मी की छुट्टियों में पर्यटकों के लिए एडवंचर्स की भी शुरुआत की गई है.

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