USA जाने को आया था एयरपोर्ट, भूटान के रास्ते पहुंच गया कजाकिस्तान, पासपोर्ट के पन्नों ने बिगाड़ा खेल, फिर जो हुआ..
बड़े भाई के अमेरिका में बस जाने के बाद गुरप्रीत के दिमाग में बस एक ही फितूर सवार था कि उसे भी किसी भी कीमत में अमेरिका जाना है. शायद इसी फितूर की वजह से गुरप्रीत हर वह काम कर रहा था कि जो उसका ट्रैवल एजेंट सुल्तान सिंह कह रहा था. आखिरकार, वह दिन भी आ गया, जब गुरप्रीत को अमेरिका के लिए रवाना होना था. चूंकि अमेरिका की वीजा नहीं मिला था, लिहाजा सत्तार ने अमेरिका जाने के लिए नया सीक्रेट रूट तैयार किया था.
आईजीआई एयरपोर्ट की डीसीपी ऊषा रंगनानी के अनुसार, गुरप्रीत अपने तमाम परिजनों से विदाई लेकर दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचा गया. प्लान के अनुसार, वह आईजीआई एयरपोर्ट से अपने वोटर आईडी कार्ड की मदद से भूटान के लिए रवाना हो गया. भूटान में कुछ दिन रुकने के बाद वह थाईलैंड के लिए रवाना हो गया. थाईलैंड पहुंचने के लिए उसने भारतीय पासपोर्ट का इस्तेमाल किया. इसके आगे, गुरप्रीत को थाइलैंड से कजाकिस्तान के के लिए रवाना होना था.
चूंकि भारतीय पासपोर्ट पर कजाकिस्तान के अल्माती शहर में आने वाले यात्रियों के लिए वीजा ऑन अराइवल की सुविधा थी, लिहाजा गुरप्रीत के लिए अल्माती तक पहुंचना बहुत मुश्किल नहीं था. ट्रैवल एजेंट सुल्तान सिंह से इशारा मिलते ही गुरप्रीत थाईलैंड से अल्माती के लिए रवाना हो गया. अल्माती पहुंचने तक सब कुछ ठीक रहा. अल्माती में इमीग्रेशन जांच के दौरान गुरप्रीत को बड़ी आसानी से वीजा ऑन अराइवल मिलने ही वाला था, तभी उसकी बुरी किस्तम एक बार फिर उसके सामने आ खड़ी हुई.
गुरप्रीत के पासपोर्ट से नदारत मिले चार पेजडीसीपी ऊषा रंगनानी के अनुसार, पासपोर्ट की जांच के दौरान अल्माती इमीग्रेशन ब्यूरो के अधिकारी ने पाया कि गुरप्रीत सिंह के पासपोर्ट से पेज संख्या 13, 14, 23 और 24 गायब था. लिहाजा, गुरप्रीत को अल्माती शहर में प्रवेश की इजाजत नहीं दी गई. अल्माती इमीग्रेशन का मानना था कि फर्जी वीजा या फिर फर्जी इमीग्रेशन स्टैंप को छिपाने के इरादे से पासपोर्ट से इन चारों पेजों को हटाया गया है. इसी शक के आधार पर अल्माती इमीग्रेशन ने गुरप्रीत सिंह को अल्माती से आईजीआई एयरपोर्ट के लिए डिपोर्ट कर दिया गया ।